चंडीगढ़ अब दूर नहीं, दूरियां नापने- मापने लगे मनीष राव
रणघोष खास. अटेली विधानसभा से
आरपीएस शिक्षण संस्थान समूह के सीईओ मनीष राव नेशनल ग्रीन कॉरिडोर -152 डी (नारनौल से चंडीगढ़ से महज 4 घंटे) की तर्ज पर अटेली विधानसभा से चंडीगढ़ के राजनीति सफर पूरा करने की तैयारी में जुटते नजर आ रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में आरपीएस समूह बहुत कम समय में हरियाणा के सबसे अंतिम छोर में बसे महेंद्रगढ़ की जमीन से चलकर अलग अलग जिलों से होते हुए पहले ही चंडीगढ़ के करीब पहुंच चुका है। पिछले दिनों समूह के संस्थापक एडवोकेट डॉ. ओपी यादव की प्रथम पुण्य तिथि पर अटेली विधानसभा से युवाओं की टोली एक बार फिर मनीष राव के नाम की आवाज से चहलकदमी करती नजर आईं। अटेली (गांव खारौदा) निवासी डॉ. ओपी यादव की पारिवारिक, शैक्षणिक एवं सामाजिक विरासत रही है। जहां से तपकर आरपीएस समूह पिछले 25 सालों में शिक्षा का विराट वृक्ष बन चुका है। जिसकी छांव में 13 से ज्यादा स्कूल, 7 कॉलेज में शिक्षा ग्रहण कर रहे 38 हजार से ज्यादा विद्यार्थी एवं अपनी सेवाएं दे रहे 7 हजार शिक्षक, कर्मचारी चारों तरफ शिक्षा की सुगंध फैला रहे हैँ। डॉ. ओपी यादव के छोटे बेटे मनीष राव सारथी की तरह शिक्षा के रथ को आगे बढ़ाने के बाद अब राजनीति के रणक्षेत्र में योद्धा की तरह उतरने का इरादा कर रहे हैं। 2019 के चुनाव में भी उन्होंने साफ संकेत दे दिए थे। मनीष राव की पृष्ठभूमि जुझारू, ऊर्जा से लबारेज, संघर्ष एवं जोखिम लेने की अदभुत क्षमता ओर बेहतरीन लीडर के तौर पर रही है। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण आरपीएस समूह की यात्रा है जो हर साल शानदार कामयाबी का हस्ताक्षर बनती जा रही है। यही वजह है कि शिक्षा के पटल पर रेवाड़ी- महेंद्रगढ़ जिले के विद्यार्थियों की गूंज राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बना चुकी है। देश में हर साल सबसे ज्यादा इंजीनियर, डॉक्टर्स, अधिकारी देने में इन दोनों जिलों का शानदार रिकार्ड रहा है। मनीष राव का मानना है कि राजनीति समाज की संपूर्णता को प्रस्तुत करती है। वह कायदे कानून, व्यवस्था बनाकर लोकतांत्रिक प्रणाली में समाज में बेहतर बदलाव का आधार बनती है। इसलिए समय के साथ इसके साथ कदमताल जरूरी है। कुल मिलाकर 2024 में होने वाले चुनाव के मद्देनजर मनीष राव ने अभी से अटेली से चंडीगढ़ की दूरी को नापना ओर मापना शुरू कर दिया है। उनकी रफ्तार 152 डी की तरह रहेगी या इधर उधर से निकल रहे लिंक रोड जैसी। यह देखने वाली बात होगी।
अटेली मतदाता अपने मिजाज से चलते हैं, हवा में नहीं बहते
अटेली विधानसभा में मतदाताओं का मिजाज इधर उधर से आ रही हवाओं से नहीं अपने मिजाज से तय होता रहा है। 1991 में कांग्रेस पार्टी से साधारण बंसी सिंह ने राजनीति के ताकतवर परिवार रामपुरा हाउस से आए राव अजीत सिंह जनता पार्टी को महज 66 वोटों से हराकर चंडीगढ़ भेजने से मना कर दिया था। इतना ही नहीं बंसी सिंह के बेटे नरेंद्र सिंह को भी 1996 मे विधानसभा भेज दिया। जिस संतोष यादव को यहां की जनता ने 2000 के चुनाव में कांग्रेस के नरेंद्र सिंह के हाथों 334 व 2009 में कांग्रेस से ही अनिता यादव के द्वारा महज 873 वोटों से हराकर नकार दिया था। उसी संतोष यादव को भाजपा की टिकट पर 2014 के चुनाव में यहां की सरदारी ने इनेलो से सतबीर के मुकाबले सूत समेत 48 हजार वोटों से जीताकर डिप्टी स्पीकर बनवा दिया। 2009 में कांग्रेस से इस सीट पर पहली बार उतरी अनिता यादव को अपना बनाने में भी यहां के मतदाताओं ने देर नहीं लगाई थी। जब मतदाताओं का पार्टियों से मोहभंग हुआ तो 2005 के चुनाव में निर्दलीय के तौर पर उन्होंने नरेश यादव को जीताने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। इतना ही नहीं 2019 में बेहद ही साधारण परिवार से संबंध रखने वाले सीताराम को भाजपा की टिकट पर जीताकर यह बता दिया कि चुनाव के असली चौधरी यहां की जनता होती है।