अदालत ने पुलिस से कहा- एफआईआर की प्रति न्यूज़क्लिक को सौंपें

रणघोष अपडेट. देशभर से 

दिल्ली की एक अदालत ने न्यूज़क्लिक मामले में दिल्ली पुलिस को झटका दिया है। इसने पुलिस को कहा है कि वह एफ़आईआर की कॉपी न्यूज़क्लिक को दे। न्यूज़क्लिक लगातार मांग कर रहा है कि उसको एफ़आईआर की कॉपी दी जाए ताकि पता चले कि किन-किन आरोपों के तहत उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा रही है। इसके लिए भी दिल्ली पुलिस की आलोचना की जाती रही है कि आख़िर बिना एफ़आईआर की कॉपी दिए वह गिरफ़्तार कैसे कर सकती है।इसको दिल्ली की अदालत में चुनौती दी गई। पुलिस ने पुरकायस्थ की एफआईआर की कॉपी की मांग का विरोध किया। लेकिन अदालत ने गुरुवार को दिल्ली पुलिस को न्यूज़क्लिक को उस एफआईआर की एक प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश दिया, जिसके तहत उसके प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती को तीन दिन पहले गिरफ्तार किया गया था। पुरकायस्थ को पोर्टल पर चीन समर्थक प्रोपेगेंडा के लिए फंड मिलने के आरोप के बाद आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत दर्ज मामले में गिरफ्तार किया गया। जिस दिन यह गिरफ्तारी हुई उस दिन दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों सहित 46 लोगों से पूछताछ की। उनसे कई सवाल पूछे गए जिसमें सीएए विरोधी प्रदर्शन, दिल्ली दंगे और किसानों के प्रदर्शन से जुड़े सवाल भी थे। उनके मोबाइल, लैपटॉप जैसे उपकरण भी जब्त कर लिए गए।

गिरफ्तार किए गए प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती को अगले ही दिन पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। उनकी गिरफ्तारी के लिए रिमांड एप्लीकेशन में दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि उनके पास प्रबीर पुरकायस्थ और नेविल रॉय सिंघम के बीच ईमेल ट्रेल्स हैं, जिससे पता चलता है कि कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को भारत का अंग नहीं दिखाने का उनका मकसद था।’ एक रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने पुरकायस्थ और एक्टिविस्ट गौतम नवलखा की दोस्ती का भी हवाला दिया है।रिमांड एप्लीकेश में कहा गया है कि 4.27 लाख ईमेल के विश्लेषण से पता चला है कि आरोपी एक-दूसरे के सीधे संपर्क में थे और चर्चा कर रहे थे कि कश्मीर के बिना भारत का एक नया नक्शा कैसे बनाया जाए और अरुणाचल प्रदेश को विवादित क्षेत्र के रूप में दिखाया जाए। इसमें दावा किया गया है कि इसके लिए उन्हें विदेशी फंड की आड़ में 115 करोड़ रुपये से अधिक मिले थे। न्यूज़क्लिक ने चीन के संगठन के दबाव या प्रभाव में किसी ख़बर को प्रकाशित के आरोपों को खारिज कर दिया है।न्यूज़क्लिक ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा, ‘यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी चीनी संगठन या प्राधिकारी के आदेश पर कोई समाचार या सूचना प्रकाशित नहीं करता है, अपनी वेबसाइट पर चीनी प्रोपेगेंडा का प्रचार नहीं करता है, इसकी वेबसाइट पर प्रकाशित कंटेंट के मामले में नेविल रॉय सिंघम से निर्देश नहीं लेता है।’ बयान में कहा गया है, ‘न्यूज़क्लिक को प्राप्त सभी फंडिंग वैध बैंकिंग चैनलों के माध्यम से की गई है और कानून सम्मत अधिकारियों को जानकारी दी गयी है। ऐसा दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा तय किए गए प्रावधानों के तहत किया गया है।’न्यूज़क्लिक का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अर्शदीप सिंह ने एफआईआर की एक प्रति और पुलिस रिमांड आवेदन के लिए पटियाला हाउस कोर्ट का रुख किया था। बुधवार को अदालत ने उन्हें पुलिस रिमांड एप्लीकेशन को तो दे दिया था, लेकिन एफआईआर नहीं दी थी, क्योंकि सरकारी वकील अदालत में मौजूद नहीं थे। सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले का हवाला देते हुए न्यूज़क्लिक ने कहा कि आरोपी को गिरफ्तारी का आधार लिखित रूप में दिया जाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d bloggers like this: