स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि किसानों को बाटने व तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को कमजोर करने हरियाणा भाजपा सरकार व उसके मंत्री, सांसद, विधायक बै-मौसम की बरसात की तरह इस समय एसवाईएल नहर निर्माण का मुद्दा किसान आंदोलन से जोडकर हरियाणा व पंजाब के किसानों को लडाने की साजिश कर रहे है। विद्रोही ने कहा कि मीडिया में पंच-सरपंचों के नाम पर लोकसम्पर्क विभाग से फर्जी बयान जारी करवाके मीडिया मैनेजमैंट से प्रकाशित करवाये जा रहे है। भाजपा सरकार के मंत्री, विधायक एसवाईएल नहर निर्माण को किसान आंदोलन की मांगों में जोडने का आग्रह कर रहे है जबकि वास्तविकता यह है कि उच्चतम न्यायालय के जनवरी 2002 निर्णय अनुसार पंजाब में अधूरी पड़ी एसवाईएल नहर निर्माण की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की है। जुलाई 2004 में पंजाब विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से बनाये गए पंजाब वाटर ट्रीटी एग्रीमैंट टर्मिनेशन एक्ट 2004 को भी सुप्रीम कोर्ट रद्द कर चुका है।
विद्रोही ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में अधूरी पड़ी सतलुज-यमुना लिंक नहर निर्माण सेना निगरानी में केन्द्रीय सीमा सडक़ संगठन से करवाने की संवैद्यानिक व कानूनी जिम्मेदारी केन्द्र की मोदी सरकार की है। हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार केन्द्र की मोदी सरकार पर दबाव डालकर उच्चतम न्यायालय के जनवरी 2002 निर्णय अनुसार पंजाब में अधूरी पड़ी एसवाईएल नहर निर्माण करवाने में असफल रही है, पर इस मुद्दे को बेशर्मी से उछालकर किसान आंदोलन में फूट डालने की साजिश कर रही है। विद्रोही ने कहा कि मुख्यमंत्री खट्टर इतने कमजोर व मोदी की कठपुतली है कि दो वर्ष पूर्व हरियाणा सर्वदलीय बैठक में उनको प्रधानमंत्री से मिलने के लिए समय लेने की जिम्मेदारी डाली थी, पर वे आज तक प्रधानमंत्री से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के लिए समय तक नही ले सके।