सीआरपीएफ अब अपने कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (कोबरा) में महिला कर्मियों को भी शामिल करने जा रहा है। ये बातें फोर्स चीफ ए पी माहेश्वरी ने गुरुवार को बताया है। इंटेलिजेंस आधारित जंगल युद्ध संचालन के लिए 2009 में सीआरपीएफ के तहत 12,000 से अधिक कर्मियों के साथ दस कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन (कोबरा) को शामिल किए गए थे। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान माहेश्वरी ने कहा कि हम कोबरा में महिलाओं को शामिल करने के पक्ष में हैं। कोबरा की अधिकांश टीमें विभिन्न नक्सल हिंसा प्रभावित राज्यों में तैनात हैं और कुछ उत्तर-पूर्वी राज्यों में आतंकवाद विरोधी अभियानों के तहत आधारित हैं। कोबरा इकाइयों में शामिल होने के लिए सैनिकों को कठिन मानसिक और शारीरिक मापदंडों को पूरा करना पड़ता है। गौरतलब है कि देश का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ है। सीआरपीएफ ने 1986 में पहली महिला बटालियन को खड़ा किया था। वर्तमान में इसकी छह इकाइयां हैं। लगभग 3.25 लाख कर्मियों की ताकत वाला ये फोर्स देश का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल है और इसे प्रमुख आंतरिक सुरक्षा मुकाबला इकाई के रूप में नामित किया गया है।