स्कूलों में बच्चों को दंड देने और सुधारने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाए जाते हैं। लेकिन अमेरिका का एक स्कूल इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि यहां बच्चों को बिजली का करंट दिया जाता है। इसके बाद यह मामला कोर्ट पहुंच गया और कोर्ट ने भी इस मामले में अपने हाथ खड़े कर दिए। दरअसल, रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह मामला अमेरिका के मैसाचुसेट्स का है, यहां एक स्पेशल एजुकेशन स्कूल में बच्चों के इलेक्ट्रिक शॉक दिए जाते हैं। इसके बाद मामला फेडरल कोर्ट में पहुंच गया है। कोर्ट ने कहा कि वह स्कूल को ऐसा करने नहीं रोक सकता है। इस मामले में ट्विस्ट तब आया जब बच्चों के पैरेंट्स ने भी इसे सही माना है। कुछ बच्चों के माता-पिता का कहना है कि बिजली के झटके ही उनके बच्चों को बचाने में लाइफ सेविंग ट्रीटमेंट साबित हुए हैं और ये उनपर कारगर साबित हुए हैं। इस स्कूल का नाम रोटनबर्ग एजुकेशन सेंटर है। फिलहाल इस मामले में कोर्ट ने कहा कि फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन स्कूल को Graduated Electronic Decelerator (GED) यूज करने से नहीं रोक सकता, क्योंकि यह एकमात्र अंतिम उपाय का उपचार है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस ट्रीटमेंट के साथ वो लोग अपने परिवारवालों से मिल सकते हैं और ज्यादा जरूरी ये है कि वो खुद को नुकसान ना पहुंचाए और गुस्सा भी कम करें।
क्यों दिया जाता है बिजली का करंट
रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्कूल में ऐसे बच्चे भर्ती किए जाते हैं को मानसिक रूप से अक्षम होते हैं। वे कई बार आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। इस स्कूल में उनकी देखभाल की जाती है और उन्हें बचाने के लिए ऐसे तरीके अपनाए जाते हैं। इस मामले पर यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स का कहना है कि इस मेडिकल डिवाइस को बैन करना वैधानिक अधिकार का अभाव है। हालांकि आलोचकों ने इसे काफी खतरनाक तरीका बताया है। उधर स्कूल का दावा है कि वो प्रशासनिक मंजूरी के बाद बच्चों को इलेक्ट्रिक शॉक देते हैं। उनके माता-पिता और लोकल जज से इसको लेकर मंजूरी ली जाती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस ट्रीटमेंट के साथ वो लोग अपने परिवारवालों से मिल सकते हैं और ज्यादा जरूरी ये है कि वो खुद को नुकसान ना पहुंचाए और गुस्सा भी कम करें। इससे पहले भी इसी मुद्दे पर कोर्ट में ऐसा मामला आया था, उस दौरान एक वीडियो भी सामने आया था। इसके बाद एफडीए ने साल 2016 में सबसे पहले इस बिजली का झटका देने वाले डिवाइस को बैन करने की मांग की थी। उन्होंने इसका नियम भी बताया था।