किसी भी छोटे- बड़े चुनाव में ऐसे उम्मीदवार भी खड़े मिलते हैं जो अचानक अवतरित होते हैं और थोड़े ही दिन में ही धुंआधार प्रचार कर प्रभावित करना शुरू कर देते हैं। अधिकतर ये उम्मीदवार अपनी जाति को अपनी ताकत बनाते हैं। नतीजा मजबूत प्रत्याशी की हार-जीत का गणित बनाने ओर बिगाड़ने में ये आजाद उम्मीदवार अच्छी खासी वजह बन जाते हैं। नगर निकाय चुनाव में रेवाड़ी- धारूहेड़ा सीट पर भी ऐसा ही होने जा रहा है। रेवाड़ी सीट पर पूरी तरह त्रिकोणीय मुकाबला है। भाजपा- कांग्रेस के साथ साथ मजबूत निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में उतर चुके हैं।