किसान आंदोलन ने रामपुरा हाउस में कांग्रेस में करंट ला दिया
राव अजीत सिंह ने बेटे अर्जुन के साथ भाजपा से ज्यादा बड़े भाई राव इंद्रजीत पर बोला हमला
→भाई ने कुर्सी के लिए रामपुरा हाउस की राजनीति को जगह जगह गिरवी रख दिया
→ भाजपा में एक कुर्सी के लिए सबकुछ दांव पर लगा दिया
→ राव इंद्रजीत सिंह के समर्थकों को नहीं पता उनके नेता के पास कौनसा महकमा है
किसान आंदोलन की सुलग रही आग ने रामपुरा हाउस की राजनीति को भी पूरी तरह से गरमा दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से एकदम शांत नजर आ रहे पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के मंझले बेटे राव अजीत सिंह रविवार को अपने बेटे अर्जुन राव के साथ अपने समर्थकों के बीच पूरे उत्साह के साथ नजर आए। यहां बता दें की अर्जुन राव अटेली विधानसभा से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। पिछले दिनों परिवार के निजी विवाद की वजह से भी उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लग गई थी।
रविवार को राव अजीत सिंह अपने पुराने तेवर में नजर आए। अपने कार्यकर्ताओं के सामने एवं पत्रकारों के साथ बातचीत में उनका एजेंडा किसान आंदोलन में आहुति डालना और अपने बड़े भाई केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को निशाने पर लेना था। राव अजीत सिंह ने कहा कि आज हमारा अन्नदाता जिसकी वजह से हम जिंदा है। वह अपनी खेती को बचाने के लिए दो महीने से दिल्ली की सीमाओं से अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है। देश में लोकतंत्र नहीं तानाशाह का राज कायम किया जा रहा है। हमें तकलीफ इस बात की है कि हमारे इलाके के नेता अपने स्वार्थ के लिए खामोश है। हमारे बड़े भाई राव इंद्रजीत सिंह ने रामपुरा हाउस की राजनीति जगह जगह गिरवी रख दिया है। भाजपा में एक कुर्सी के लिए उन्होंने रातों रात कांग्रेस को छोड़ दिया। वे बताए जो महकमा उन्हें मिला हुआ है उसका कितना फायदा इलाके को मिला है। हैरान की बात यह है कि उनके अधिकतर समर्थकों को नहीं पता कि उनके नेता के पास कौनसा महकमा है। वे खुद किसान है आज भी खेती करते हैं। उन्हें पता है कि खेती किसान की मां से भी बढ़कर होती है। इसलिए उन्होंने अपने समर्थकों से कहा है कि वे 26 जनवरी को ज्यादा से ज्यादा संख्या में ट्रैक्टर लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो जाए। उन्होंने अपने अंदाज में अपने छोटे भाई एवं कोसली के पूर्व विधायक यादुवेंद्र सिंह पर भी कहा कि वे छोटे को टाइट करेंगे कि वह इस आंदोलन को लेकर पूरी तरह से सक्रिय हो जाए।
उधर अर्जुन राव ने कहा कि देश आजादी के बाद सबसे नाजुक एवं बुरे दौर से गुजर रहा है। केंद्र सरकार इतनी कठोर और हठी हो सकती है इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। हद तो उस समय हो गई जब वे मसानी बैराज पर धरने पर बैठे किसानों के समर्थन में पहुंचे तो पीछे से एसडीएम ने उन्हें शांति भंग करने का नोटिस थमा दिया। यह हैरान करने वाली बात यह है कि शांति पूर्वक धरना देना भी सरकार के लिए इस लोकतंत्र देश में अपराध हो गया। देश की जनता अब जाग चुकी है। यह आंदोलन भाजपा सरकार को वापस वहीं भेज देगा जहां से इस पार्टी का जन्म हुआ था। हम कृषि के इन तीनों काले बिलों को रद्द कराने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इस मौके पर पूर्व मंत्री डॉ. एमएल रंगा समेत अनेक समर्थक मौजूद थे।
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