आंतरिक शिकायत समिति की एकदिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

— शिकायत मिलते ही निष्पक्ष होकर हर पहलू से की जाएं जांच: एडीसी


— किसी के साथ भी गलत न हो इसका रखे विशेष ध्यान: राहुल हुडडा


महिला एंव बाल विकास विभाग द्वारा महिलाओं को कार्यस्थल पर अच्छा माहौल उपलब्ध करवाने के लिए गठित आंतरिक शिकायत समिति के सदस्यों की बाल भवन में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमे विभिन्न सरकारी विभागों के प्रमुखों सहित स्वयं संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

एडीसी राहुल हुड्डïा ने इस कार्यशाला में बोलते हुए कहा कि समिति के सभी सदस्य यौन उत्पीडऩ की रोकथाम (पोश) एक्ट को अच्छी तरह पढे तथा कार्यालय का माहौल ऐसा बनाएं, जिसमें शिकायतकर्ता अपनी शिकायत को समिति के समक्ष पेश कर सकें। इसके लिए चाहे तो वह कार्यालय में एक ड्राप बाक्स भी लगवा सकते है। श्री हुड्डïा ने कहा कि जो भी शिकायत मिले उसकी निष्पक्ष होकर हर पहलू से जांच की जाएं तथा किसी के साथ भी गलत न हो इसका ध्यान रखें। एडीसी ने बताया कि आंतरिक शिकायत कमेटी का मुख्य उद्देश्य रोकथाम, निषेध और निवारण को स्पष्ट करना है और उल्लंघन के मामले में, पीडि़त को निवारण प्रदान करने के लिये कार्य किया जाता है।

इस कार्यशाला में यौन उत्पीडऩ अधिनियम 2013 के प्रावधानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यशाला में बताया गया कि कार्यस्थल पर महिला आत्म सम्मान के साथ एक सुरक्षित माहौल के बीच नौकरी कर सके और वह किसी प्रकार का यौन उत्पीडन का शिकार न हो। महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहें और किसी प्रकार के उत्पीडन के संबंध में आंतरिक शिकायत समिति में अपनी शिकायत दर्ज करा सकें इसके लिए सभी संस्थानों में आंतरिक शिकायत समिति को होना अनिवार्य है।

कार्यशाला में बताया गया कि कोई भी संस्थान जहां पर 10 से अधिक कर्मचारी काम करते है वहां पर कमेटी का गठन होना जरूरी है। साथ ही जहां पर महिला कर्मचारी हो या न हो वहां पर भी आईसीसी गठित होना जरूरी है। 10 से कम कर्मचारियों वाली संस्थान जिला स्तर पर गठित लोकल शिकायत कमेटी एलसीसी में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है। किसी भी संस्थान में आईसीसी को लेकर अनियमितता पाई जाती है तो उसके खिलाफ 50 हजार रूपए का जुर्माना किया जा सकता है। यदि इसके बाद भी संस्थान आईसीसी को लेकर कोई कोताही बरतता है तो उसका लाईसैंस रद्द किया जा सकता है।

अधिवक्ता हरीश शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि 2013 में यौन उत्पीडऩ की रोकथाम एक्ट (पोश) एक्ट बना था, कार्यस्थल पर असहजता महसूस करें तो इसमें शिकायत की जा सकती है। सरकारी और गैर सरकारी सस्थानों में किसी भी प्रकार की असहजता होती है तो पीडि़त की श्रेणी में आते है। उन्होंने कहा कि महिला कर्मचारी की शिकायत को गोपनीय रखना होता है तथा कमेटी द्वारा 90 दिन के अंदर-अंदर इसका निस्तारण करना होता है। यदि शिकायत किसी को फसाने के लिए की गई हो तो उसके खिलाफ भी एक्शन लिया जा सकता है। उन्होंने विस्तार से अधिनियम के बारे में भी जानकारी दी।

अधिवक्ता भारती अरोड़ा ने भी कार्यशाला में नियमों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कार्यशाला में प्रोजैक्ट के माध्यम से वीडियो क्लिप दिखाकर भी जानकारी दी गई। इस कार्यशाला में मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी डॉ मृदुुला सूद, जिला शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार, कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास संगीता यादव, बाल सरंक्षण अधिकारी दीपिका, अधीक्षक मंजू बाला, सीडीपीओ शालू सहित अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।

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