पशुपालन घोटाला मामले में सजायाफ्जा राजद सुप्रीमो शुक्रवार को जेल से रिहा हो सकते हैं। गुरूवार 29 अप्रैल को बेल बांड भरने के बाद सीबीआइ की विशेष अदालत में रिलीज आर्डर जारी कर दिया है। हाई कोर्ट से जमानत के बाद सीबीआइ विशेष अदालत में लालू की पैरवी करने वाले अधिवक्ता प्रभात कुमार ने एक लाख का निजी मुचलका और पांच-पांच लाख जुर्माना की राशि सीबीआइ की अदालत में जमा करा ने के बाद अदालत ने रिलीज आर्डर जारी किया। बेलर के तौर पर निशिकांत और राजू गोप अदालत में हाजिर थे।लालू प्रसाद बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के कैदी हैं। बीते कोई साढ़े तीन साल से वे जेल में हैं। हालांकि इस अवधि में बीमारियों के हवाले उनका ज्यादा समय रांची के रिम्स ( राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान) में गुजरा है। तबीयत बिगड़न के बाद इसी साल 23 जनवरी को उन्हें रिम्स, रांची से दिल्ली एम्स शिफ्ट किया गया। अभी भी वे दिल्ली के एम्स में भर्ती हैं। दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में इसी माह 17 अप्रैल को रांची हाई कोर्ट से उन्हें जमानत मिली है। कोरोना के कारण न्यायिक कार्य बाधित रहने के कारण बेल बांड भरने और उनकी रिहाई की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी थी।
लंबे समय से था रिहा होने का इंतजार
बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान ही अक्टूबर 2020 में इस आधार पर कि दुमका कोषागार मामले में उन्होंने आधी सजा काट ली है लालू प्रसाद के रिहा होने की संभावना जाहिर की जा रही थी। मगर सजा काटने की अवधि का मामला फंसा रहा। फरवरी में भी लालू प्रसाद की ओर से जमानत के लिए इस बिना पर आग्रह किया गया था कि दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में वे सजा की आधी अवधि काट चुके हैं। सीबीआइ ने आपति़्त की कि आधी सजा पूरी नहीं हुई है जिसे अदालत ने साक्ष्यों के आधार पर स्वीकार करते हुए याचिका खारिज कर दी थी। 9 अप्रैल को वह अवधि पूरी हुई। तब 17 अप्रैल को हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए जमानत दे दी। लालू प्रसाद चार मामलों में सजायाफ्ता हैं, तीन मामलों में पहले से जमानत मिल चुकी थी। 17 अप्रैल को हाई कोर्ट ने चौथे मामले में भी जमानत दे दी। इसी बीच बार काउंसिल ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए अधिवक्ताओं से अदालती प्रक्रिया में शामिल नहीं होने का आदेश जारी किया था। अब बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने ने निर्देश दिया है कि जिन्हें अदालत से जमानत मिल चुकी है और करोना संक्रमण के कारण अधिवक्ताओं के कोर्ट में जाने पर प्रतिबंध की वजह से बेल बांड व अन्य कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है वे पूरी कर सकते हैं। अदालत से जमानत के बाद भी जेल में रहना उनके अधिकारों का हनन है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया की इस रियायत के बाद लालू प्रसाद सहित जेल में बंद उन तमाम कैदियों को राहत मिल गई है जिन्हें अदालत से जमानत मिल चुकी है।