आर्थिक मोर्चे पर दुनिया के लिए आसान नहीं होगा ये साल

सुरंजना तिवारी & पीटर होसकिन्स


रणघोष खास. सुरंजना तिवारी & पीटर होसकिन्स बीबीसी से 

पिछले कुछ वक़्त से दुनिया में मंदी की आशंका ज़ाहिर की जा रही है. अब आईएमएफ़ ने कहा है कि इस साल ग्लोबल इकोनॉमी का एक तिहाई हिस्सा मंदी की चपेट में आ सकता है.आईएमएफ़ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिएवा ने कहा है कि पिछले साल की तुलना में 2023 ज़्यादा मुश्किलों भरा होगा क्योंकि अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और चीन को अपनी अर्थव्यवस्था धीमी होती नज़र आ रही है.

यूक्रेन युद्ध, तमाम चीज़ों की बढ़ती क़ीमतें, ऊंची ब्याज दरें और चीन में कोविड संक्रमण बढ़ने से ग्लोबल इकोनॉमी दबाव में हैं.अक्टूबर में आईएमएफ़ ने 2023 के लिए ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ आउटलुक पेश किया था.जॉर्जिएवा ने सीबीएस के न्यूज़ प्रोग्राम ‘फ़ेस द नेशन’ में कहा, ”हमें लगता है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था का एक तिहाई हिस्सा मंदी की चपेट में आ सकता है.”उन्होंने कहा, ”जिन देशों में मंदी नहीं है वहां भी करोड़ों लोगों को मंदी जैसे हालात का एहसास होगा.”सिडनी में मूडीज़ एनालिटिक्स की अर्थशास्त्री कैटरीना एल्ल ने बीबीसी के लिए दुनिया की अर्थव्यवस्था के बारे में अपना आकलन पेश किया.उन्होंने कहा,” हमारी बेसलाइन के मुताबिक़ अगले साल मंदी नहीं आएगी, लेकिन कुछ चीज़ें असामान्य रूप से दिक़्क़त पैदा करने वाली हैं. यूरोप तो मंदी से नहीं बच पाएगा और अमेरिका भी इस ओर बढ़ रहा है.”

महंगाई और चीन के कोविड का ग्लोबल अर्थव्यवस्था पर असर

आईएमएफ़ ने अक्टूबर में ग्लोबल ग्रोथ का आउटलुक घटा दिया था. यूक्रेन में चल रही जंग और ऊंची ब्याज दरों की वजह से ऐसा किया गया था.दरअसल बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरें बढ़ानी शुरू की थीं. इसलिए ऐसे हालात पैदा हुए थे.इस बीच, चीन ने देश में तेज़ी से फैल रहे कोरोना संक्रमण के बावजूद ज़ीरो-कोविड पॉलिसी ख़त्म कर दी है और अपनी अर्थव्यवस्था दोबारा खोल दी है.लेकिन जॉर्जिएवा ने चेतावनी दी है कि दुनिया की सबसे दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था की शुरुआत 2023 में मुश्किल भरी रहेगी.उन्होंने कहा, ”अगले कुछ महीने चीन के लिए मुश्किलों भरे रहेंगे. चीन पर इसका नकारात्मक असर होगा. इसलिए इस पूरे क्षेत्र में भी इसकी नकारात्मकता दिखेगी. इससे ग्लोबल ग्रोथ पर भी नकारात्मक असर होगा.”आईएमएफ़ 190 सदस्य देशों वाला संगठन है. ये सभी देश मिल कर दुनिया की अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए काम करते हैं. इसकी प्रमुख भूमिकाओं में से एक है- अर्थव्यवस्था के बारे में आने वाली दिक़्क़तों के बारे में समय से पहले सतर्क करना.जॉर्जिएवा की टिप्पणी न सिर्फ़ एशिया के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए चेतावनी है. पिछला साल एशियाई अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किल भरा था.  पूरी दुनिया के साथ एशिया में भी महंगाई तेज़ी से बढ़ रही है. इसमें बड़ी भूमिका यूक्रेन में चल रहे युद्ध की है.ऊंची ब्याज दरों ने आम लोगों और कारोबार दोनों को मुश्किल में डाला है.

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