सोमवार की सुबह इंदौर के बेलेश्वर महादेव मंदिर में हुई दुर्घटना के चार दिन बाद इंदौर नगर निगम प्रशासन ने मदिंर के अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का निर्णय लिया है। प्रशासन अवैध निर्माण को गिराने के लिए पांच से अधिक बुलडोजर लेकर पहुंच गया। नगर निगम के साथ पुलिस की टीम भी मौके पर पहुंची ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से निपटा जा सके। लोगों द्वारा विरोध की आशंका को देखते हुए चार पुलिस थानों की पुलिस को भी तैनात किया गया है। पुलिस के अलावा इंदौर के जिलाधिकारी, नगर निगम के उपायुक्त सहित तमाम अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहे। एनडीटीवी की एक खबर के अनुसार अगर इंदौर नगर निगम लोगों द्वारा की जा रही शिकायतों पर पहले ही ध्यान देता तो 36 लोगों की जान लेने वाली दुर्घटना को रोका जा सकता था। दुर्घटना में मंदिर का जो हिस्सा गिरा है, उसका निर्माण अवैध रुप से किया गया था। इतना ही नहीं नगर निगम प्रशासन द्वारा पिछले साल ही इसको गिराने के लिए चिन्हित किया गया था लेकिन मंदिर का रखरखाव करने वाले ट्रस्ट द्वारा धार्मिक भावनाओं के आहत होने की चेतावनी के बाद प्रशासन कार्रवाई से पीछे हट गया था। रामनवमी के दिन मंदिर की बावड़ी के ऊपर बनी छत ज्यादा भीड़ के कारण टूट कर गिर गई। मंदिर परिसर में जब यह घटना हुई समय हवन चल रहा था। निजी ट्रस्ट द्वारा संचालित, मंदिर स्नेह नगर में स्थित है, जो इंदौर की सबसे पुरानी आवासीय कॉलोनियों में से एक है। घटना के लिए जिम्मेदार मानते हुए मंदिर के ट्रस्ट के दो अधिकारियों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज की गई है। अवैध निर्माण न हटाने पर नगर निगम के दो अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये मुआवजा राशि देने की घोषणा पहले ही कर दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुर्घटना में पीड़ितों के परिवारों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) से मुआवजे की घोषणा की है। पीएमओ ने एक ट्वीट के जरिए घोषणा की कि त्रासदी में प्रत्येक मृतक के परिजन को 2-2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। घायलों को 50,000 रुपये दिए जाएंगे।