उमर खालिद और अन्य पर मुकदमा चलाने के मामले में दिल्ली सरकार ने झाड़ा पल्ला, कहा- एलजी ने दी थी मंजूरी

दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने उत्तर पूर्व दिल्ली दंगों के मामले में आरोपी 18 लोगों पर राजद्रोह और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप में दिल्ली पुलिस को मंजूरी देने के फैसले से खुद को दूर कर लिया है। इन आरोपियों में  जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम, उमर खालिद, पिंजरा टॉड, कार्यकर्ता नताशा नरवाल, देवांगना कलिता, निलंबित आप पार्षद ताहिर हुसैन और इशरत जहां शामिल हैं। दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आउटलुक को बताया कि इस फैसले का निर्वाचित सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने बताया, “निर्वाचित सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है।” दिल्ली सरकार के पत्र में कहा गया है कि मुकदमा चलाने की मंजूरी लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल ने दी है। पुलिस ने चार्जशीट में कहा है कि आरोपियों ने राजद्रोह और आपराधिक षड़यंत्र के तहत काम किया है।अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार के सूत्रों ने दावा किया कि यह पूरी तरह से प्रक्रियात्मक मामला है। “दिल्ली सरकार के गृह विभाग के कारण कानून विभाग ने अपनी कानूनी राय दी है। यह न्यायपालिका पर निर्भर है कि वह इस तरह के मामलों को मैरिट पर तय करें,  न कि चुनी हुई सरकारों के लिए। अदालत पुलिस द्वारा दायर किए गए आरोपों पर संज्ञान ले सकती है और राज्य सरकार द्वारा अभियोजन स्वीकृति देने के बाद ही मुकदमा शुरू कर सकती है। पुलिस ने दिल्ली सरकार को सितंबर के मध्य में राजद्रोह के आरोपों के तहत अभियोजन स्वीकृति के लिए अनुरोध भेजा था। सरकार ने पहले पुलिस अभियोजन को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपी व्यक्तियों को अभियोजन की मंजूरी दी थी। राजद्रोह की मंजूरी अभी भी प्रतीक्षित थी। जब आरोपियों पर मामले में उनकी कथित भूमिका के लिए आरोप लगाए गए थे तब पुलिस ने 22 नवंबर को अदालत को सूचित किया था कि उन पर राजद्रोह और अन्य धाराओं के लिए मुकदमा चलाने की मंजूरी अभी भी विचाराधीन है। यह दूसरा मामला है जिसमें उमर खालिद के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाएगा। जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के साथ 2016 जेएनयू मामले में कथित रूप से भारत विरोधी नारे लगाने के लिए भी उनके खिलाफ राजद्रोह के तहत मामला दर्ज किया गया था। दिल्ली सरकार के अधिकारी ने कहा कि जेएनयू देशद्रोह के मामले में भी, यह उनकी सही स्थिति थी। अधिकारी ने कहा, “दिल्ली सरकार ने पिछले पांच वर्षों में किसी भी मामले में अभियोजन को नहीं रोका है, जिसमें आप विधायक और पार्टी के नेता भी शामिल हैं।”

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