श्रमिक संगठन एआईयूटी यूसी राज्य प्रधान कामरेड राजेंद्र सिंह एडवोकेट ने संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों से अपील की है की 1 मई अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस को किसान मजदूर दिवस के रूप में मनाने के लिए आगे आए एवं श्रमिक एवं किसान आंदोलन में शहीद हुए श्रमिकों एवं किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित करें। केंद्र की सरकार ने पूंजीपतियों के हित में 44 श्रम कानूनों को धता बताकर मजदूरों नंगे शोषण और लूट का रास्ता प्रशस्त कर दिया। संघर्षों से अर्जित ट्रेड यूनियन अधिकारों को प्राय खत्म कर दिया। दूसरी तरफ किसान की खेती बाड़ी में कॉरपोरेट घरानों की खुली घुसपैठ के लिए तीन कृषि कानून जबरन किसानों पर थोप दिए। मोदी की सरकार पूंजीपतियों के मुनाफे के लिए तमाम कमेरे वर्ग के खिलाफ खड़ी है। अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के बहादुर श्रमिक नेताओं ने अपने जीवन का बलिदान करके 8 घंटे कार्य दिवस कि जो मांग हासिल की थी आज उसे 12 घंटा कार्य दिवस तक कर दिया गया है। यूनियन बनाने और यूनियन बनाकर आंदोलन करने के अधिकार पर अंकुश लगा दिया गया है। कामरेड राजेंद्र सिंह ने कहा कोरोना महामारी के चलते सभाएं आयोजित नहीं हो पाएंगे इसलिए कंपनियों मैं कार्यरत श्रमिक एवं उनकी यूनियनें, आशा कार्यकर्ता यूनियन, मिड डे मील कार्यकर्ता यूनियन, भवन निर्माण कारीगर मजदूर यूनियन अपने अपने स्तर पर ऑनलाइन मई दिवस के शहीदों एवं किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित करें। 1 मई अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर शोषण जुल्म अत्याचार के खिलाफ जोरदार जन आंदोलन संगठित करने के लिए शपथ लें। 1 मई मजदूर किसान दिवस के रूप में मनाते हुए संघर्षशील किसानों के प्रति अपनी एकजुटता भाईचारा को प्रदर्शित करें और सरकार को ऑनलाइन ज्ञापन भेजकर काले कानून वापस लेने की मांग करें।