कट मनी, भतीजावाद, हिंदुत्व नहीं आ रहे हैं भाजपा के काम? जाने कहां चूक रहे हैं शाह-नड्डा

 रणघोष खास. देशभर से


पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल जोर शोर से लगे हुए हैं। इन पांच राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा कट मनी, भतीजावाद और हिंदुत्व जैसे मुद्दों को इन चुनावों में भुनाने में लगी है। मगर हाल ही में जारी ओपिनियन पोल ने पार्टी को बड़ा झटका दिया है। सर्वे की मानें तो इन राज्यों में बीजेपी की दाल गलती नहीं नजर आ रही है। जबकि भाजपा शासित असम में भी पार्टी के सामने चुनौतियां बढ़ गई है।

इन पांचों राज्यों के परिणाम 2 मई को घोषित किए जाएंगे, मगर चुनाव से पहले जनता की क्या राय है? इसको लेकर सी वोटर ने सर्वे किया है।

पश्चिम बंगाल

बंगाल में बीजेपी ने सबसे ज्यादा फोकस किया है। भाजपा टीएमसी के कई दिग्गज नेताओं को पार्टी में शामिल कर ममता को टक्कर देने में जुटी हुई है। हाल ही में मिथुन चक्रवर्ती भी भाजपा में शामिल हुए। इसके अलावा पार्टी के दिग्गज नेता मोदी, शाह, नड्डा लगातार कट मनी, भतीजावाद और हिंदुत्व के मुद्दे पर ममता को घेर रहे हैं। मगर सी वोटर के ओपिनियन पोल की मानें तो बीजेपी को कोई खास फायदा होता नहीं दिख रहा है। ओपिनियन पोल के अनुसार, पश्चिम बंगाल में एक बार फिर ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी की तीसरी बार सरकार बन सकती है। हालांकि, पिछले चुनाव के मुकाबले उसे सीटों का घाटा हो रहा है। जबकि, बीजेपी को सत्ता पर काबिज होने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है।

पश्चिम बंगाल- 292

टीएमसी- 152 से 168 सीटें

बीजेपी- 104 से 120 सीटें

कांग्रेस+लेफ्ट- 18 से 26 सीटें

अन्य- 0 से दो सीटें

तमिलनाडु

तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों में बीजेपी कमल खिलाने के सपने लम्बे समय से देख रही है। इसके लिए बीजेपी ने एआईएडीएमके से हाथ भी मिलाया है। पार्टी लगभग 40 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी मगर उन्हें 20 सीटें ही मिल पाई है।

तमिलनाडु में विधानसभा की 234 सीटों के लिए चुनाव होना है, जिनमें से यूपीए को 173 से 181 सीटों पर सफलता मिलने की संभावना जताई गई है। यूपीए को 79 सीटों की बढ़त का अनुमान है, जबकि एनडीए को 2016 के मुकाबले 87 सीटों का घाटा हो सकता है। एनडीए को इस चुनाव में महज 45 से 53 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि 2016 में यह आंकड़ा 136 सीटों का था।

तमिलनाडु-234

यूपीए (डीएमके+कांग्रेस+अन्य)- 173 से 181

एनडीए (एआईएडीएमके+बीजेपी+अन्य)- 45 से 53

एमएनएम- एक से पांच

एएमएमके- एक से पांच

अन्य- 0 से चार

केरल

भाजपा केरल विधानसभा चुनाव में अपना सिक्का जमाने का हर सम्भव प्रयास कर रही है। दिल्ली से पार्टी के कई बड़े नेता रैलियों में शामिल हो रहे हैं और स्थानीय नेताओं का मनोबल बढ़ा रहे हैं। लेकिन ओपिनियन पोल के अनुसार, केरल में एक बार फिर एलडीएफ की सरकार बनती दिख रही है। एलडीएफ को 71 से 83 सीटें मिलने की संभावना है। इस प्रकार राज्य में एक बार फिर एलडीएफ की सरकार बन सकती है। जबकि यूडीएफ के खाते में 56 से 68 सीटें मिल सकती हैं। वहीं बीजेपी को 0 से दो सीटें मिल सकती हैं।

केरल- 140

एलडीएफ- 71 से 83 सीटें

यूडीएफ- 56 से 68 सीटें

बीजेपी- 0 से दो सीटें

अन्य- 0 सीटें

असम

एनडीए शासित असम में विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर दिख रही है। हालांकि ओपिनियन पोल के अनुसार, असम में एक बार फिर एनडीए की सरकार बन सकती है। राज्य में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 63 है। एनडीए को 65 से 73 सीटें मिल सकती हैं। जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को 52 से 60 सीटें मिलने की संभावनाहै।

असम- 126

एनडीए- 65 से 73 सीटें

यूपीए- 52 से 60 सीटें

अन्य- 0 से 4 सीटें

पुडुचेरी

केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को बढ़त मिलता दिखाया गया है। यहां एनडीए में बीजेपी के साथ-साथ ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस और ऑल इंडिया अन्‍ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम है। पुडुचेरी में एनडीए को 30 में से 19 से 23 सीटें मिल सकती हैं, जबकि यूपीए, जिसमें कांग्रेस और डीएमके है, उसे 7 से 9 सीटें मिल सकती हैं। पुडुचेरी में मतदान 6 अप्रैल को होना है।

यूपीए (कांग्रेस-डीएमके)- 7 से 11

एनडीए (आईएनआरसी+बीजेपी+एआईएडीएमके)- 19 से 23

अन्य- 0 से 1

बहरहाल इन पांचों राज्यों में ओपिनियन पोल यदि परिणाम में बदलते हैं तब भाजपा के लिए यह बड़ा सवाल होगा की पार्टी इतनी कोशिशों के बावजूद कहाँ चूक कर रही है? दरअसल, भाजपा पश्चिम बंगाल में ममता को टक्कर देने वाला कोई चेहरा नहीं ढूंढ पाई। फ़िल्म अभिनेता मिथुन को बीजेपी ने जरूर अपनी पार्टी में शामिल किया लेकिन वे भी अपेक्षाओं पर खरे उतरते नहीं नज़र आ रहे हैं। केरल में भी पार्टी का हिंदुत्व का मुद्दा जमीन पर कोई खास असर नहीं कर पा रहा है। इसके अलावा टिकट बंटवारे पर असंतोष आदि भी बीजेपी के सामने बड़ी चुनौतियां हैं।

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