रणघोष अपडेट. जाटूसाना की कलम से
गांव करावरा मानकपुर में 88 साल के बनवारीलाल एवं हमउम्र पत्नी बिशनी देवी मानसिक और शारीरिक तौर पर पूरी तरह से स्वस्थ्य है। बनवारीलाल सुबह भोजन करने के बाद ताश की महफिल में चले जाते हैं। उधर घर में उनकी पत्नी बिशनी देवी चूल्हे की रोटी बनाती है। हालांकि परिजनों ने उन्हें पूरा आराम दिया हुआ है बस शौक पूरा करने के लिए यह दंपति रूटीन में खुद को व्यस्त रखते हैं। इस दंपति के तीन बेटे चार लड़की है। परिवार में कुल 18 सदस्य है। बनवारीलाल एवं बिशनी देवी के जीवन में काफी उतार चढ़ाव आए। उनके एक बेटे गुलजारी लाल की कैंसर से मौत हो गई थी। उन्होंने जमींदारा कर परिवार को आगे बढ़ाया। बनवारीलाल ने कई सालों तक आटा चक्की का काम भी किया। उनके पोते पवन कुमार बताते हैं कि दादा- दादी ने अपने जीवन में जी तोड़ मेहनत की। इस उम्र में भी वे अपने स्तर पर मेहनत करते हैं। हम उन्हें नहीं करने देते। दादी आज भी चूल्हे की रोटी बनाती रहती है जबकि दादा सुबह खाना खाने के बाद गांव में ताश खेलते रहते हैं। वे दोनों पूरी तरह से स्वस्थ्य है।