सुप्रीम कोर्ट से एक याचिका में कोविड महामारी से निपटने के तौर तरीकों को लेकर कथित तौर पर देश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि धूमिल करने के लिए बनाए टूलकिट की जांच का अनुरोध किया गया था. अदालत ने कहा कि यह राजनीतिक दुष्प्रचार का हिस्सा है और यदि आप इसे पसंद नहीं करते हैं, तो नज़रअंदाज़ करें
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी से निपटने के तौर तरीकों को लेकर कथित तौर पर भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि धूमिल करने के लिए बनाए गए तथाकथित ‘टूलकिट’ की प्रारंभिक जांच का अनुरोध करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘यदि आप ‘टूलकिट’ पसंद नहीं करते हैं, तो आप इसे नजरअंदाज करें.’ इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली। पीठ ने याचिकाकर्ता एवं अधिवक्ता शशांक शेखर झा से कहा, ‘यह राजनीतिक दुष्प्रचार का हिस्सा है और यदि आप इसे पसंद नहीं करते हैं, तो इसे नजरअंदाज करें। झा ने कथित टूलकिट का जिक्र करते हुए कहा कि (कोविड-19 के) भारतीय स्वरूप जैसी शब्दावली का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘भारत एक लोकतंत्र है.’ न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 32 के तहत याचिका में इस तरह की राहत नहीं दी जा सकती। पीठ ने याचिकाकर्ता से सवाल किया, ‘हमें (अनुच्छेद) 32 के तहत दायर याचिका में निर्देश क्यों जारी करना चाहिए? लोगों के पास फौजदारी कानून में इसके लिए उपाय हैं. आप इसे वापस ले सकते हैं.। गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने कोविड-19 महामारी से निपटने के तौर तरीकों को लेकर देश और प्रधानमंत्री की छवि धूमिल करने के लिए टूलकिट बनाने का कांग्रेस पर आरोप लगाया था। हालांकि, कांग्रेस ने यह आरोप खारिज कर दिया था और इसके नेताओं ने यहां एक पुलिस शिकायत दायर कर आरोप लगाया था कि भाजपा उनकी पार्टी (कांग्रेस) को बदनाम करने के लिए ‘फर्जी टूलकिट’ का इस्तेमाल कर रही है। वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में किए गए एक अनुरोध का जिक्र किया, जिसमें केंद्र को राजनीतिक दलों, संगठनों या लोगों को कथित राष्ट्र विरोधी रुख रखने वाले सभी तरह की होर्डिंग लगाने से मना करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। इस पर पीठ ने कहा, ‘हमें इसे क्यों रोकना चाहिए.’ न्यायालय ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय का समय तुच्छ याचिकाओं द्वारा बर्बाद किया जा रहा है। याचिका में इस कथित टूलकिट की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से करवाने की मांग की गई थी और जांच में आरोप सही पाए जाने पर कांग्रेस पार्टी का पंजीकरण रद्द करने की मांग की गई थी। मालूम हो कि बीते 18 मई को उस समय विवाद खड़ा हो गया था जब भाजपा ने कांग्रेस पर कोरोना महामारी के दौरान देशवासियों में भ्रम फैलाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया और कहा कि इस संकट काल में विपक्षी दल की ‘गिद्धों की राजनीति’ उजागर हुई है.