किसानों की दो टूक : एचएसआईआईडीसी भूमाफिया है, हमारा दावा झूठा है तो उसे साबित करें अधिकार

रणघोष अपडेट. रेवाड़ी

एमआरटीएस प्रोजेक्ट (Mass.rapid transit system and allies use and early project DMIC) के तहत जिला रेवाड़ी के 20 गांवों की जमीन अधिग्रहण कर रिकार्ड में अपने नाम  कराने के बाद मुआवजा देने में आनाकानी कर रहे राज्य सरकार के एचएसआईआईडीसी को किसानों ने सरकारी भूमाफिया कहना शुरू कर दिया है। किसानों ने कहा कि इतना गंभीर आरोप लगने के बाद भी एचएसआईआईडीसी अधिकारियों का चुप रहना और कोई जवाब नहीं देना यह साबित करता है कि वे उनके आरोपों को सही मान रहे हैं। गुरुवार को किसानों की अधिकारियों से मीटिंग थी लेकिन उसे टाल दिया गया। भाकियू चढुनी के जिला अध्यक्ष समे सिंह का कहना है कि जमीन अपने नाम कराकर मुआवजा नहीं देना यह साबित करता है कि कायदे बुलडोजर सरकार को खुद पर ही चलना चाहिए। यहां बता दें कि पिछले ढाई माह से किसान अपनी जमीन पर बने स्ट्रक्चर के मुआवजा को लेकर दक्षिण हरियाणा के सभी दिग्गज नेता, मंत्री, प्रशासनिक अधिकारियों  के साथ साथ धरना प्रदर्शन करते आ रहे हैं। सभी भरोसा दिला रहे हैं कि उन्हें जल्द ही मुआवजा मिल जाएगा।

कब तक मिल जाएगा, देरी की वजह क्या है इस पर कोई जवाब देने को तैयार नहीं है। पिछले एक साल से अधिक समय से मुआवजा को लेकर किसान संघर्ष कर रहा है। जिला राजस्व विभाग 15 से अधिक बार राज्य सरकार एवं एचएसआईआईडीसी को पत्र लिखकर किसानों की पीड़ा से अवगत करा चुका है। यहां गौर करने लायक बात यह है कि किसान मुआवजा को लेकर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, भाजपा ससंसदीय बोर्ड की सदस्या डॉ. सुधा यादव, राज्य के कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल, पटौदी आश्रम के संचालक स्वामी धर्मदेव के अलावा उपायुक्त अशोक कुमार गर्ग से लगातार मिल रहे हैं। सभी ने माना कि किसानों की मांग एकदम जायज है। 9 सितंबर 2021 को स्ट्रक्चर के मुआवजे का अवार्ड हो चुका है। अभी तक मुआवजा मिल जाना चाहिए था। जमीन का मुआवजा देकर एचएसआईआईडीसी जमीन अपने नाम करा चुकी है।

यानि पूरा मुआवजा मिला नहीं और किसानों से उनकी जमीन भी छीन ली। आधे से ज्यादा किसानों ने तो मुआवजा की उम्मीद में अन्य स्थानों पर इधर उधर से रकम लेकर  घर, जमीन एवं अन्य व्यवसाय शुरू कर दिया था। अब वे धीरे धीरे कर्जें में डूबते जा रहे हैं। ऐसे हालातों में में किसानों ने प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में  आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम उठाने का विडियो भी जारी किया हुआ है। भारतीय किसान यूनियन चढुनी के सहयोग से लड़ाई लड़ रहे किसान अब करो या मरो की स्थिति में आ चुके हैं। प्रधान समे सिंह ने कहा कि उन्होंने अपनी किसानी जीवन में ऐसा अत्याचार कभी नहीं देखा जब बिना मुआवजा दिए सरकार जमीन पर अपना कब्जा कर ले। यह तो देश के इतिहास में  धरती पुत्रों पर सबसे बड़ा अत्याचार है। मुआवजा को लेकर कोई विवाद नही है। सरकार ने जो तय किया वहीं किसान मांग रहे हैं। सही मायनों में सरकार ने इस मामले में भूमाफियाओं को भी पीछे कर दिया है। लगता है सरकार अब किसानों का बलिदान लेकर मुआवजा देना चाहती है।

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