केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का पिछले आठ दिनों से हल्ला बोल जारी है। किसान सरकार से लगातार तीनों कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं, लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऐसा नहीं होगा। कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने रविवार को दोहराया कि तीनों कृषि कानून किसानों के पक्ष में हैं। यह रद्द नहीं किए जाएंगे। यदि आवश्यक हुआ तो सरकार आंदोलनकारी किसानों की मांगों को स्वीकार करने के लिए अधिनियमों में कुछ संशोधन करेगी। उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जारी रहेगा। केंद्र इसे लिखित रूप में देने के लिए तैयार है। कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानून किसानों को स्वतंत्रता प्रदान करेंगे। सरकार शुरू से ही कह रही है कि किसानों को जहां चाहे, अपनी फसल बेचने का अधिकार होना चाहिए। यहां तक कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट भी यही सिफारिश करती है। मुझे नहीं लगता कि कानूनों को रद्द किया जाना चाहिए। आवश्यक हो तो किसान की मांगों को स्वीकार करने के लिए अधिनियमों में कुछ संशोधन किए जाएंगे।
किसानों का भड़का रहे राजनीतिक दल
कृषि राज्य मंत्री ने कहा कि विभिन्न राज्यों में गैर भाजपा सरकारें किसानों को भड़काने की कोशिश कर रही हैं। देश के किसान इन कानूनों के पक्ष में हैं, लेकिन कुछ राजनीतिक दल आग भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसानों को गुमराह किया जा रहा है। चौधरी ने कहा कि जो असली किसान हैं, वे खेतों में काम कर रहे हैं। उन्हें नए कृषि कानूनों से कोई परेशानी नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक फायदा लेने के लिए आंदोलनकारियों को बरगलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों को विश्वास है। किसान कभी भी ऐसा निर्णय नहीं लेंगे, जो देश में अशांति का कारण बने। इन कानूनों ने उन्हें स्वतंत्रता प्रदान की है। किसानों को यह सोचना चाहिए कि दूसरों के राजनीतिक लाभ के लिए उन्हें फुसलाया नहीं जा सकता है।