किसानों ने सरकार को सौंपा 5 सू्त्री एजेंडा, साथ ही इंटरनेशनल सपोर्ट पर बोले-गर्व की बात

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा के जींद जिले के कंडेला में बुधवार को किसानों की महापंचायत हुई। महापंचायत में हजारों अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेता राकेश टिकैत ने भाग लिया। इस दौरान महापंचायत ने सरकार के समक्ष पांच सूत्री प्रस्ताव रखा है। किसानों के इस प्रस्ताव में तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने का आह्वान किया गया। वहीं एमएसपी की संवैधानिक गारंटी मांगी गई है। स्वामीनाथन रिपोर्ट के कार्यान्वयन, किसानों की रिहाई उनकी रिहाई के बाद किसानों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस लेने की भी मांग की गई है। प्रस्ताव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से किसानों की यूनियनों के साथ बातचीत करने का भी आह्वान किया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा भारत में चल रहे किसान आंदोलन के प्रति अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तित्वों के समर्थन को स्वीकार करता है। एक तरफ, यह गर्व की बात है कि दुनिया की प्रख्यात हस्तियां किसानों के प्रति संवेदनशीलता दिखा रही हैं, वहीं दूसरी ओर, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत सरकार किसानों के दर्द को समझ नहीं रही है और कुछ लोग शांतिपूर्ण किसानों को आतंकवादी भी कह रहे हैं। इसमें कहा गया कि किसान आंदोलन दिन पर दिन मजबूत होता जा रहा है। उत्तर प्रदेश में किसान महापंचायतों में भारी समर्थन के बाद, किसानों ने मध्य प्रदेश के डबरा और फूलबाग, राजस्थान के मेहंदीपुर और हरियाणा के जींद में महापंचायतें आयोजित की हैं। आने वाले दिनों में बड़ी संख्या में किसान दिल्ली आएंगे। राजस्थान और पंजाब के किसान लगातार शाहजहाँपुर सीमा पर पहुँच रहे हैं। सरकार के अत्याचारों के बाद, किसानों ने फिर से पलवल सीमा पर धरना शुरू कर दिया है। आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से बड़ी संख्या में किसान इस स्थल पर पहुँचेंगे। किसान मोर्चा ने कहा कि हम सिंघु सीमा पर पत्रकारों के प्रवेश को रोकने के लिए पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हैं। सरकार ने इंटरनेट को पहले ही बंद कर दिया है और अब मीडिया के लोगों के विरोध स्थलों पर प्रवेश और कवरेज सरकार द्वारा रोकी जा रही है। सरकार इस आंदोलन की वास्तविकता से देश भर में आम लोगों तक पहुंचाने से डर रही है और विरोध स्थलों से संचार को अवरुद्ध करने की पूरी कोशिश कर रही है। यह सब करके सरकार अपना प्रचार प्रसार करना चाहती है, जिसे किसान किसी भी कीमत पर नहीं होने देंगे।

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