हाल ही भारत की नई संसद में एक युवक द्वारा दर्शक दीर्घा से हाल में कूदने के बाद ये चर्चा जारी है कि क्या ये संसद सुरक्षा की चूक है. हालांकि भारत की संसद को दुनिया की सबसे सुरक्षित इमारतों में गिना जाता है. यहां कई स्तर की जबरदस्त सुरक्षा है. नई संसद तकनीक हिसाब से भी काफी बेजोड़ है. ऐसे में ये सवाल जायज है कि दुनिया में किस देश की संसद को सबसे सुरक्षित माना जाता है. ये संसद इजरायल की नेसेट है. केनेसेट लंबी-चौड़ी खूबसूरत सी बिल्डिंग है, जो एक धनी ब्रिटिश यहूदी (British Jew) के दान से बनी है. ये ना केवल खूबसूरत है बल्कि इसे दुनिया की सुरक्षित इमारत भी कहा जाता है. इजरायल जब लंबे संघर्ष के बाद एक देश के रूप में वर्ष 1948 में सामने आया. कहा जा सकता है कि भारत और इजरायल ने एक देश के तौर पर अपनी असली यात्रा आसपास ही शुरू की थी. भारत के पास तो अंग्रेजों की दी हुई संरचना थी लेकिन इजरायल को अपना सबकुछ आमतौर पर शून्य से ही शुरू करना था. उस समय उनके पास कोई संसद भवन नहीं था.
1949 में इजरायल में पहली बार चुनाव हुए तो वहां की आबादी करीब साढ़े छह लाख थी. पहली बार राष्ट्रीय चुनाव में 120 सांसद चुने गए. हालांकि अब भी इजरायल की संसद में चुने हुए प्रतिनिधियों की संख्या 120 ही है लेकिन अब इसको बढाने पर विचार हो रहा है. पिछले 71 सालों में इजरायल का नक्शा बदला और आबादी भी. अब वहां की आबादी करीब 90 लाख है. कई सेक्टर्स में इजरायल दुनियाभर में एक ताकत की उभरा है, उसे मिसाल माना जाता है.
क्यों कहा जाता है इसे केनेसेट
इजरायल बनने के बाद दुनियाभर से यहूदी वहां आकर बसे. उन्होंने इसे एक देश का रूप दिया. इजरायली संसद को केनेसेट कहे जाने की भी कहानी है. दरअसल प्राचीन इजरायल में 120 विद्वानों और संतों की एक सभा थी, जो देश का संचालन करती थी, इसे कनासेट कहते थे. उसी तर्ज पर इजराइल की संसद का नाम पड़ा नेसेट. ये पश्चिमी यरूशलम की इस पहाड़ी पर है.
एक यहूदी के दान से बनी ये बिल्डिंग
आप हैरान हो सकते हैं कि इजरायल में केनेसेट के निर्माण के लिए कई लोगों ने नहीं बल्कि ब्रिटेन के अकेले शख्स ने इतना पैसा दान दिया कि आराम से बनकर तैयार हो गई. ये शख्स थे जेम्स डी रॉथ्सचाइल्ड. जो ब्रिटेन में सांसद थे और मशहूर रॉथ्सचाइल्स परिवार से ताल्लुक रखते थे. इस परिवार का तब वर्ल्ड बैंकिंग में खासा रूतबा था. पैसे की तो उनके पास कमी ही नहीं थी. यहूदी होने के नाते इजरायल को लेकर उनका इस देश के प्यार भी स्वाभाविक था.
रॉथ्सचाइल्स ने इस संसद भवन के निर्माण के लिए जब 60 लाख इजरायली पाउंड की रकम देने की घोषणा की तो लोग हैरत में आ गए, क्योंकि ये उस समय के हिसाब से बहुत बड़ी रकम थी. तब इजरायल में चलने वाली मुद्रा को इजरायली पाउंड कहते थे. हालांकि 1980 से इस मुद्रा का नाम बदलकर सीकल रख दिया गया. एक सीकल भारत के 20.14 रुपए के बराबर है.
09 साल में ये शानदार भवन तैयार हुआ
1957 में केनेसेट बिल्डिंग पर काम शुरू हुआ. कई बड़े-बड़े आर्किटैक्ट के बीच जोसेफ क्लारबीच को चुना गया. हालांकि उस समय इजरायली यूनानी शैली का शानदार भवन अपने संसद के लिए बनवाना चाहते थे. इसे बनने में नौ साल लग गए. तब तक इजरायल में कई बार चुनाव हो चुके थे और कई सरकारें बन चुकी थीं. तब इजरायल के चुने हुए सांसद एक छोटी सी ज्यूइस एजेंसी बिल्डिंग में बैठते थे.
कैसी है ये शानदार इमारत
जब इजरायल की चौकोर आकार वाली भव्य सफेद रंग की बिल्डिंग संसद भवन के लिए तैयार हुई तो ये वाकई सुंदर थी. इसकी सुरक्षा के साथ इसके अंदर की साजसज्जा पर खास ध्यान दिया गया.
तब 20 हजार स्क्वयेर मीटर में बनी ये बिल्डिंग में मुख्य हाल के अलावा कई छोटे हाल, कमरे, मीटिंग रूम, विंग्स, लाइब्रेरी सभी कुछ है. इसमें बाहर की ओर 20 मोटे खंबे हैं तो हर साइड में 15-15. अब भी जब कोई सैलानी आता है तो उसे इस भवन में खासतौर पर घुमाया जाता है. अंदर के रंगों की साजसज्जा और सजावट की भी खासी तारीफ की जाती है.
सुरक्षा के लिए खास एक सेक्यूरिटी यूनिट
ये पांच मंजिला भवन अलग ही नजर आता है. इसकी सुरक्षा दुनिया में बेहतरीन मानी जाती है. यूं भी इजरायल के सेक्युरिटी सिस्टम को दुनिया में सबसे उम्दा आंका जाता है.
प्रोटेक्टिव सेक्युरिटी यूनिट करती है सुरक्षा
शायद ही कोई संसद इतनी चाकचौबंद और नई हाईटेक तकनीक वाली सुरक्षा से युक्त होगी, जितनी ये. इसकी सुरक्षा के लिए खासतौर पर एक डेडीकेटेड गार्ड यूनिट है, जिसे प्रोटेक्टिव सेक्युरिटी यूनिट कहा जाता है. ये भवन के बाहर आधुनिक शस्त्रों के साथ तैनात रहते हैं. ये रोज एक सेरेमनी करते हैं. जिसे खासतौर पर देखने के लिए लोग पहुंचते हैं. अंदर की व्यवस्था यूजर्स करते हैं, जिसमें दर्शकों से लेकर मेहमानों की आगवानी, उनके बैठने की व्यवस्था आदि.
सांसदों को एमके बोला जाता है
जिस तरह हम लोग अपने सांसदों को मेंबर ऑफ पार्लियामेंट(एमपी) कहते हैं. उसकी तरह इजरायल के सांसदों को मेंबर ऑफ केनेसेट यानि एमके कहते हैं. कनासेट यानि इजरायली संसद ही कानून बनाती है. हर संसद का कार्यकाल चार साल का होता है. वहां भी संसद चलाने के लिए स्पीकर और डिप्टी स्पीकर होते हैं. 18 साल के ऊपर के लोग सरकार को चुनने के लिए वोट देते हैं. लेकिन इजरायल के संसद में खासबात वहां की कमेटियां हैं. ये कमेटियां काफी ताकतवर मानी जाती हैं.
सोलर पैनल की बिजली से चलता है केनेसेट
अगर आप गौर से इसकी तस्वीरें देखें तो इसके आगे पीछे और कई मंजिलों पर फैले हुए सोलर पैनल नजर आते हैं. यहां भी भारत की तरह सूरज काफी रोशनी और गरमी देता है-यही सोलर पैनल इस पूरे भवन की बिजली जेनरेट करते हैं, जिसमें बिल्डिंग की हीटिंग और एसी प्रणाली शामिल है.