हरिद्वार में कुंभ मेला जारी है जो कोरोना का नया हॉटस्पॉट बनता जा रहा है। यहां 10 से 14 अप्रैल के बीच कोरोना वायरस के 1,701 नए संक्रमित मिले हैं। इसने उन चिंताओं की एक तरह से पुष्टि हो गई है कि विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के कारण कोविड के मामले बढ़ सकते हैं।
हरिद्वार के मुख्य चिकित्सा अधिकारी शंभु कुमार झा ने गुरुवार को कहा कि यह संख्या पांच दिनों में विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों और अनुयायियों के किए गए आरटी-पीसीआर और रैपिड एंटीजन टेस्ट की है। इसमें हरिद्वार से लेकर देवप्रयाग तक का पूरा मेला क्षेत्र शामिल है।
उन्होंने कहा कि और आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है और ऐसा माना जा रहा है कि कुंभ मेला क्षेत्र में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या 2,000 तक बढ़ने की संभावना है। कुंभ मेला क्षेत्र 670 हेक्टेयर में फैला हुआ है, जिसमें ऋषिकेश सहित हरिद्वार, टिहरी और देहरादून जिले शामिल हैं।
12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या और 14 अप्रैल को मेष संक्रांति के अवसर पर आयोजित दो शाही स्नान में हिस्सा लेने वाले 48.51 लाख लोगों ने खुलेआम कोविड-19 नियमों की धज्जियां उड़ाईं। इस दौरान किसी ने भी न ता मास्क लगाया था और न ही कोई सोशल डिस्टेंसिंग का ही पालन कर रहा था।
अपने बेहतरीन प्रयासों के बावजूद, पुलिस समय की कमी के कारण दो प्रमुख स्नान दिवस पर हर की पौड़ी घाट पर अखाड़ों और तपस्वियों के ऊपर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को लागू नहीं कर सकी।
13 अखाड़ों को सूर्यास्त से पहले अपने आवंटित समय के अनुसार हर की पौड़ी में पवित्र स्नान करना था। पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों को इस चीज के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी की कि अगले अखाड़े के घाट पर पहुंचने से पहले घाट को खाली करवा दिया जाए ताकि अराजकता को रोका जा सके।
झा ने कहा कि 14 अप्रैल की मेष संक्रांति के शाही स्नान तक साधु-संतों ने आरटी-पीसीआर जांच करवाई। कुंभ क्षेत्र में अखाड़ों को आवंटित क्षेत्रों में कोरोना जांच और टीकाकरण दोनों के आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ने की संभावना है।