नामीबिया से आई थी ‘तब्लीशी’, 2 दिन से थी लापता
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में फिर एक चीते की मौत हो गई है. अब कूनो में नामीबिया से लाई गई मादा चीता तब्लीशी की मौत हुई है. यहां अब तक 9 चीतों की मौत हो चुकी है. इनमें से 6 वयस्क जबकि 3 शावक हैं. बताया जा रहा है कि दो दिनों से चीते का लोकेशन नहीं मिल रहा था. कूनो के बाहरी इलाके में चीते की बॉडी मिली है. श्योपुर के कूनो पालपुर नेशनल पार्क से एक मादा चीता लापता हुई थी. पिछले कुछ दिन से उसका पता नहीं चल पा रहा था. पार्क प्रबंधन उसकी तलाश में जुटा हुआ था. चीते की गर्दन में लगाई गई रेडियो कॉलर आईडी में खराब हो गई थी. इस वजह से उसकी लोकेशन ट्रेस नहीं हो पा रही थी. अब वन विभाग का अमला ड्रोन कैमरा की मदद से चीते की तलाश करने में जुटा था.
कूनो में लगातार हो रही चीतों की मौत
मध्य प्रदेशमें श्योपुर का कूनो पालपुर अभयारण्य पिछले कुछ समय से लगातार सुर्खियों में है. पहले यहां से अच्छी खबरें आयीं जब नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीते लाए गए. ये केंद्र और राज्य सरकार का महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट था. लेकिन ये खुशी कुछ ही दिन रही और फिर यहां से लगातार एक के बाद एक चीतों की मौत की खबरें आने लगीं. पिछले 10 महीने में 7 चीतों की मौत कूनो में हो चुकी है. इसमें यहां जन्में शावक भी शामिल हैं. कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत थमने का नाम नहीं ले रही है.
हर महीने पार्क में किसी न किसी चीते की मौत हो रही है. जिम्मेदार अफसर, मौत की वजह कभी बीमारी तो कभी लू के थपेड़े और कभी आपसी टकराव बता देते हैं. लेकिन, सवाल उठ रहे हैं जब कूनो नेशनल पार्क में वन्यजीवों के इलाज के लिए बेहतरीन सुविधा वाला अस्पताल है, डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स की टीम हैं. निगरानी के लिए सुरक्षाकर्मियों से लेकर चीता ट्रैकिंग टीम, डॉग स्क्वायड, सीसीटीवी और ड्रोन कैमरा के इंतजाम है. फिर हर बार जब भी जीते बीमार या गंभीर घायल होते हैं दो उनका उपचार देरी से क्यों शुरू हो पाता है. और उनकी जान क्यों नहीं बच पाती. यह बड़ा सवाल है लेकिन, जिम्मेदार अधिकारी मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब देने को तैयार नहीं है.