केंद्र सरकार की तरफ से यह ऐलान किया गया है कि 18 से 22 सितंबर के बीच ससंद का पांच दिवसीय विशेष सत्र बुलाया जाएगा. अभी यह साफ तौर पर नहीं बताया गया है कि ऐसे कौन से बिल हैं, जिन्हें पास कराने के लिए यह विशेष सत्र बुलाया जा रहा है. इस बार मानसून सत्र काफी हंगामेदार रहा था, जिसके चलते संसद के दोनों सदनों में ज्यादा कामकाज नहीं हो पाया था. सूत्रों के मुताबिक, इस सत्र के दौरान 10 से ज्यादा महत्वपूर्ण बिल पेश किए जाएंगे.
संसद के सत्र के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 85 में प्रावधान किया गया है. संसद के किसी सत्र को बुलाने की शक्ति सरकार के पास है. इस पर निर्णय संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा लिया जाता है जिसे राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक रूप दिया जाता है. संसद के एक वर्ष में तीन सत्र होते हैं. सबसे लंबा, बजट सत्र (पहला सत्र) जनवरी के अंत में शुरू होता है और अप्रैल के अंत या मई के पहले सप्ताह तक समाप्त हो जाता है. इस सत्र में एक अवकाश होता है ताकि संसदीय समितियां बजटीय प्रस्तावों पर चर्चा कर सकें.
दूसरा सत्र तीन सप्ताह का मानसून सत्र होता है, जो आमतौर पर जुलाई माह में शुरू होता है और अगस्त में खत्म होता है. शीतकालीन सत्र यानी तीसरे सत्र का आयोजन नवंबर से दिसंबर तक किया जाता है.