स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि कोविड -19 संक्रमण, संक्रमित व्यक्ति को टीबी रोग विकसित करने के लिए अधिक संवेदनशील बना सकता है। मंत्रालय ने बताया कि टीबी ब्लैक फंगस की तरह एक तरह का अवसरवादी संक्रमण है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी कोविड संक्रमितों के लिए टीबी की जांच की सिफारिश की है। दरअसल, हाल में उन रोगियों में टीबी के मामलों में अचानक वृद्धि देखी गई जो कोरोना से संक्रमित हुए थे। मंत्रालय ने कहा कि हालांकि इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि कोविड -19 के कारण टीबी के मामलों में वृद्धि हुई है।
पाबंदियों के चलते टीबी के मामलों में कमी
मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना महामारी संबंधी पाबंदियों के चलते पिछले साल टीबी के मामलों की सूचनाओं में 25 फीसद की कमी आई थी, लेकिन सभी राज्यों द्वारा इस प्रभाव को कम करने के लिए टीबी के मरीजों का पता लगाने के लिए ओपीडी में विशेष जांच की जा रही है और समुदायों में भी अभियान चलाया जा रहा है।
कोरोना और टीबी दोनों ही करते हैं फेफड़ों पर हमला
टीबी और कोविड -19 दोनों रोगों को संक्रामक माना जाता है और ये मुख्य रूप से फेफड़ों पर हमला करते हैं। इन दोनों में ही खांसी, बुखार और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा गया है कि वे अगस्त, 2021 तक बेहतर निगरानी और टीबी तथा कोविड-19 के मामलों का पता लगाने के प्रयासों में एकरूपता लाएं। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीबी-कोविड और टीबी-आइएलआइ/एसएआरआइ की द्वि-दिशात्मक जांच की आवश्यकता को दोहराते हुए कई सलाह और मार्गदर्शन भी जारी किए हैं। कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इसे लागू भी कर रहे हैं।
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