कोरोना महामारी ने टूरिजम इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है और अब एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में विदेशी यात्रियों के आवागमन को कोरोना महामारी से पहले के दौर की तरह सामान्य होने में साल 2023 तक समय लगेगा। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के मार्च महीने में किए सर्वे के आधार पर सेंटर फॉर एशिया पैसिफिक एविएशन (CAPA) ने बताया कि 80 प्रतिशत यात्री क्वॉरंटीन से जुड़े नियमों की वजह से यात्रा ही नहीं करना चाहते हैं।
CAPA की ओर से दिया गया यह अनुमान शुरुआती तौर पर यही संकेत देता है कि साल 2030 तक भारत में विदेशी यात्रियों की आवाजाही सिर्फ 1.8 करोड़ ही बढ़ेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत विदेशी यात्रियों के आवागमन के लिए अधिकतर उन फ्लाइट्स पर निर्भर करता है जिनकी यात्रा की अवधि 6 घंटे से ज्यादा की होती है। CAPA के मुताबिक, कोरोना महामारी के बाद कम समय लेने वाली उड़ाने जल्दी बहाल होंगी लेकिन ज्यादा समय लेने वाली उड़ाने धीरे-धीरे बहाल हो सकेंगी।
CAPA ने बताया कि भारत में अधिकांश विदेशी यात्री यूके, यूएस, कनाडा, चीन, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया से आते हैं, जहां कोरोना वायरस चरम पर है। यही नहीं अभी अमेरिका और ब्रिटेन को छोड़ दुनियाभर में टीकाकरण की प्रक्रिया भी शुरुआती चरण में है। जिन देशों से भारत में सबसे ज्यादा विदेशी यात्री आते हैं, वहां टीकाकरण प्रक्रिया में इस साल के आखिर तक तेजी आएगी।
IATA के सर्वे में यह भी पता लगा है कि 56 प्रतिशत संभावित यात्री अपनी यात्रा तब तक टालेंगे जब तक अर्थव्यवस्था स्थिर नहीं हो जाती, तो वहीं 66 प्रतिशत लोगों को लगता है कि वैक्सीन ले चुके लोगों के लिए क्वॉरन्टीन जरूरी नहीं है। सर्वे में यह भी बताया गया है कि अगर क्वॉरंटीन जरूरी हुआ तो 84 प्रतिशत यात्री सफर करने से बचेंगे।