कोरोना वायरस को पूरी दुनिया में फैलाने वाला चीन अब खुद संक्रमण से डर गया है। कोविड-19 से बचने के लिए चीन माउंट एवरेस्ट की चोटी पर एक विभाजन रेखा खिंचेगा। वायरस से प्रभावित पर्वताहोरियों से होने वाले कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए चीन यह कदम उठाने जा रहा है। बता दें कि नेपाल में भी कोरोना वायरस का प्रकोप जारी है और एवरेस्ट के बेस कैंप में मौजूद दर्जनों लोग कोविड-19 से पीड़ित हैं।
एवरेस्ट के बेस कैंप से 30 से ज्यादा बीमार लोगों को निकाला गया है। जिसके बाद ऐसा डर पैदा हो गया है कि वायरस इस चढ़ाई के मौसम को बर्बाद कर सकता है। एवरेस्ट चीन और नेपाल की सीमा को बांटती है। चोटी का उत्तरी हिस्सा चीन की तरफ पड़ता है। तिब्बती अधिकारियों ने एक संवाददाता सम्मेलन शिन्हुआ को बताया कि माउंटेन गाइड पहाड़ी की चोटी पर विभाजन रेखाएं स्थापित करेंगे जिसके बाद ही पर्वतारोहियों को आरोहण की इजाजत दी जाएगी। हालांकि अभी यह नहीं बताया गया है कि ये रेखाएं किस तरह खींची जाएंगी। अप्रैल से अब तक 21 चीनी पर्वतारोहियों को एवरेस्ट पर चढ़ने की इजाजत दी गई है। पर्वतारोहण से पहले ये पर्वतारोही तिब्बत में क्वारंटाइन में रहे थे। बता दें कि चीनी पक्ष पहाड़ के उत्तरी किनारे पर चीनी बेस कैंप में वायरस नियंत्रण उपायों को भी बढ़ाएगा। यहां एवरेस्ट प्राकृतिक क्षेत्र में गैर-पर्वतारोही पर्यटकों को प्रवेश करने से मना किया जाएगा। चीन ने पिछले साल से वायरस के प्रकोप के कारण विदेशी नागरिकों के एवरेस्ट पर चढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन 2020 तक महामारी के प्रकोप को झेलने के बाद इस साल नेपाल ने आगंतुकों को रिकॉर्ड संख्या में चढ़ने के परमिट जारी किए हैं। नेपाल से एवरेस्ट आरोहण का परमिट लेने की फीस 11 हजार अमेरिकी डॉलर्स यानी करीब आठ लाख रुपये है। इसके अलावा पर्वतारोही 40 हजार डॉलर यानी करीब 30 लाख रुपये एक अभियान के लिए खर्च करते हैं। नेपाल की तरफ बने बेस कैंपों में किसी समय विदेशी पर्वतारोहियों और नेपाली गाइड्स की टीमों समेत एक हजार लोग मिल जाते हैं। पिछले तीन हफ्ते में नेपाल में रोजाना दर्ज होने वाले कोरोना वायरस मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है और हर पांच में से दो व्यक्ति टेस्ट के बाद संक्रमित पाए गए हैं।