कोविड-19 वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावकारिता के लेक चिंताएं अभी भी बनी हुई है। इस बीच हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स वैक्सीन लेने को लेकर अपनी इच्छा से आगे आ रहे हैं। 16 जनवरी को टीकाकरण अभियान की शुरूआत की गई। सरकारी डेटा के मुताबिक 2 लाख से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों ने टीका लगाया है। इसके मुताबिक अब तक करीब 8 लाख लोगों का टीकाकरण हो चुका है। इस दर पर, पहले चरण में 3 करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों को टीकाकरण करने में लगभग एक वर्ष लगेंगे क्योंकि सरकार की योजना के मुताबिक टीकाकरण प्रक्रिया के लिए सप्ताह में केवल चार दिन हीं करने की बात की गई है। हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से आगे आने की अपील की है।
तो सवाल उठता है कि देश में वैक्सीन लगवाने को लेकर अभी भी इतनी झिझक क्यों है? आउटलुक ने बहुत सारे डॉक्टरों से बात की जिसमें डॉक्टरों ने ये कहा है कि जब तक राजनेता और सांसद वैक्सीन लगवाने को लेकर आगे नहीं आते हैं और सरकार कोवाक्सिन की सुरक्षा और प्रभावकारिता पर डेटा जारी करती है, तब तक टीकाकरण अभियान को लेकर लोगों के मन में हिचकिचाहट जारी रखेगा। एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आदर्श प्रताप सिंह का कहना है कि अन्य देशों में राजनेताओं और राज्यों के प्रमुखों ने लोगों में विश्वास जगाने के लिए वैक्सीन का सहारा लिया है। वो आगे कहते हैं, “दुर्भाग्य से, मैंने भारत के किसी भी राजनेता के बारे में नहीं सुना है कि चाहे वो पीएम हो, राष्ट्रपति या स्वास्थ्य मंत्री, यहां तक की कोई सांसद इसके लिए आगे आए हों। वे टीका क्यों नहीं लगवा रहे हैं? ” आदर्श कहते हैं कि ये आम जनता को अपनी सुरक्षा और प्रभावकारिता के बारे में प्रेरित करने में अभी समय लगेगा। डॉक्टरों का कहना है कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, पूर्व उपराष्ट्रपति माइक पेंस, सदन के अमेरिकी अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी, सिंगापुर के प्रधान मंत्री ली ह्सियन लूंग, यूएई के प्रधान मंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद मकीम और कई अन्य लोग वैक्सीन ले सकते हैं फिर हमारे राजनेता संकोच क्यों कर रहे हैं? इस सवाल को डॉ. प्रताप सिंह भी उठाते हैं। लोक नायक जय प्रकाश हॉस्पिटल के पूर्व आरडीए अध्यक्ष डॉ. परवल मित्तल कहते हैं, “देश के चुने हुए प्रतिनिधियों का आगे न आना, फ्रंटलाइन वर्कर्स खासकर डॉक्टरों के बीच वैक्सीन संबंधी आशंकाओं को दूर करने की बातों को प्रभावित करेंगा।” वहीं, फोर्टिस अस्पताल गुरुग्राम के डॉ. राहुल भार्गव कहते हैं, “हमारे प्रधानमंत्री एक करिश्माई नेता हैं। हम उनकी बातों को फॉलो करते हैं। मेरा मानना है कि यदि वो वैक्सीन लेते हैं, तो समाज के सभी वर्गों के बीच झिझक दूर हो जाएगी।”डॉ. राहुल भार्गव आगे कहते हैं, “इसके अलावा, यदि आप देखे तो अधिकांश सांसद 50 साल से ऊपर हैं। उन्हें वैक्सीन को प्राथमिकता पर लेना चाहिए,क्योंकि हमें बजट आदि जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद की कार्यवाही की आवश्यकता है। कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन के ट्रायल से संबंधित डेटा पब्लिक डोमेन में अभी तक उपलब्ध नहीं है जबकि वैक्सीन बाजार में उतर चुका है। इसको लेकर भी डॉक्टर सवाल उठा रहे हैं। एम्स आरडीए के महासचिव श्रीनिवास राजकुमार उपचार और संक्रमण से संबंधित कई मुद्दों पर पूर्व में असंगत तथ्यों के साथ आने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर को दोषी ठहराया है।
श्रीनिवास ने बताया, “आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय के पास टीकाकरण प्रक्रिया सहित पूर्व में कई मुद्दों पर असंगत दृष्टिकोण है और इसने उनकी विश्वसनीयता को धूमिल किया है। अब एक ही रास्ता है कि डेटा सार्वजनिक किया जाए और सूचनाबद्ध निर्णय लेने को सक्षम किया जाए।”