रामपुरा हाउस पर सही समय पर हमला करना ही जगदीश् यादव के जिंदा होने का सबूत
–भाजपा से कांग्रेस में शामिल होना इस नेता के लिए एक घर से दूसरे घर में जाना जैसा है
रणघोष खास. सुभाष चौधरी
दक्षिण हरियाणा में कोसली विधानसभा सीट की हार-जीत का मापदंड तय करने वाले 67 वर्षीय पूर्व मंत्री जगदीश यादव के लिए रामपुरा हाउस (केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह परिवार ) पर सही समय पर हमला करना ही उनका राजनीति में जिंदा रहने का सबसे बड़ा सबूत है।
2019 में भाजपा की घुड़सवारी से जगदीश यादव ने हमला करना चाहा लेकिन हाईकमान ने घोड़े की कमान अपने पास ही रखी। इस बार 27 सितंबर को दिल्ली में कांग्रेस पर सवार होकर 2024 में हमला करने का इरादा बनाने जा रहे हैं। सेनापति के लिए उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडडा एवं सांसद दीपेंद्र हुडडा को चुना है जिसके सहारे वे मैदान में उतरे हैं। चुनाव में अभी एक साल का समय है। ऐसे में राजनीति मैदान में घोड़े अपने सवार को सही ठिकाने पर लेकर जाकर छोड़ेगे या इधर उधर हो जाएंगे यह देखने वाली बात होगी। दरअसल जगदीश यादव के लिए उम्र के लिहाज से कोई एक बड़ा निर्णय लेना जरूरी था। भाजपा में वे टाइमपास बनकर रह गए थे। इस नेता की राजनीति का बायाडोटा ही केंद्रीय मंत्र राव इंद्रजीत सिंह परिवार की खिलाफत ही चलता है। जाहिर है भाजपा- कांग्रेस से ज्यादा जगदीश यादव के लिए इस परिवार पर मौका लगते ही राजनीति हमला करना ही उसके जिंदा रहने का सबूत है। आने वाले चुनाव को लेकर कोई किंतु परंतु, रूठना- मनाना, सांठ- गांठ नहीं होगी। 2024 में जगदीश यादव हर हाल में इस सीट पर चुनाव लड़ेंगे। यह भी साफ हो गया है। इसमें कोई दो राय नहीं इस सीट पर जगदीश यादव को जीत से ज्यादा हार ने माला पहनाई है लेकिन जनाधार कभी कमजोर नहीं हुआ। चौधरी बंसीलाल एवं इनेलो की सरकार में परिवहन- सहकारिता, शिक्षा एवं वन मंत्री रहे जगदीश यादव की राजनीति केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह परिवार के खिलाफ उगलती आग में तपकर निखरती रही है। इस सीट पर वे अकेले नेता है जो राव परिवार के खिलाफ चुनौती देने की हैसियत रखते हैं। इसलिए राव ने पिछले दो विधानसभा चुनाव में जगदीश यादव की राजनीति को मिटटी में मिलाने लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। 2014 के विधानसभा चुनाव में अपने छोटे भाई यादुवेंद्र सिंह का साथ देने की बजाय भाजपा उम्मीदवार विक्रम यादव को जीताने में पूरी ताकत लगा दी थी ताकि जगदीश यादव इस लड़ाई का फायदा नहीं उठा ले जाए। 2019 में जगदीश यादव के भाजपा में आने के बाद भी राव ने कोसली से उनके टिकट के सभी दावों को चलने नहीं दिया। एक बार लगा कि जगदीश यादव राजनीति के चक्रव्यूह में फंस चुके हैं इसलिए चुनाव मैदान से खुद को हटा लिया। राव अपने इरादों में कामयाब रहे। मौजूदा राजनीति पर गौर करें तो जगदीश यादव पिछला चुनाव नहीं लड़कर पहले से ज्यादा मजबूत हुए हैं। जगदीश यादव इस बार कांग्रेस की टिकट को लेकर किसी भी पार्टी के आश्वासन पर आंखमूंद कर भरोसा करने की बजाय अपने समर्थकों के साथ चुनाव मैदान में उतरने का मन बना चुके हैं। इसलिए टिकट मिलने या नहीं मिलने की स्थिति में वे खुद को पूरी तरह तैयार करने के लिए चुनाव से एक साल पहले ही अपने इरादे जाहिर करने जा रहे हैं। इससे कोसली की राजनीति गरमाना शुरू हो गई है।