डीसी से मिला शहीद संदीप का परिवार कहां राजनीति बंद हो, हमारी पीड़ा जायज है
उधर शैल्टर को उसी जगह बनाने वाले लोगों का कहना है कि पहले इसे गांव की छोर पर बनना था लेकिन वहां कोई पंचायती जमीन नहीं है। रोडवेज ने भी इसी पुरानी जगह को सही माना है
रणघोष अपडेट. डहीना
गांव डहीना में दो शहीदों के स्मारक के बराबर में बस क्यू शैल्टर बनाने के निर्णय से उठे विवाद के सामने शहीदों की शहादत भी छोटी पड़ गई हैं। गौर से देखा जाए तो विवाद की कोई वजह नहीं है। बस एक दूसरे को नीचा दिखाने की जिद है जो गांव के भाईचारे एवं शहीदों के सम्मान पर सीधा मजाक है। बुधवार को शहीद संदीप के परिजन और ग्रामीण डीसी से मिले। उन्होंने कहा कि जहां बस क्यू शैल्टर बनाया जा रहा है वह किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है। शहीदों के मुख्य द्वार के बराबर इसे बनाया जा रहा है। जहां रेवाड़ी से कनीना जाने वाली बसें ठहराव करेंगी जबकि गांव की बसावट दूसरे छोर की तरफ है। गांव से 90 प्रतिशत से ज्यादा लोगों का रेवाड़ी जाने वाले रूट पर जुड़ाव रहता है। महज 10 प्रतिशत लोग ही कनीना के लिए बसों की सेवा लेते हैं। ऐसे में शैल्टर कायदे से कनीना से रेवाड़ी जाने वाली दिशा की तरफ बनना चाहिए ताकि ग्रामीणों को बस पकड़ने के लिए रोड पार नहीं करना पड़े और सड़क हादसों की संभावनाओं को भी विराम लग जाए।
दूसरा शहीदों की प्रतिमा के बराबर में इस शैल्टर के बनने से लोगों की पीठ शहीदों के सामने नजर आएगी जो शहीद के सम्म्मान में किसी भी दृष्टिकोण से ठीक नहीं है। यहां गौर करने लायक बात यह है कि शहीद संदीप का परिवार इस शैल्टर के खिलाफ पूरी तरह लड़ाई लड़ रहा है जबकि साथ में लगी शहीद रामफल का परिवार बंटा हुआ है। शहीद रामफल की मां इस शैल्टर के यहीं पर बनने के पक्ष में हैं तो उसकी पत्नी इसका पुरजोर विरोध कर रही है। प्रशासन के अधिकारी भी हैरान है कि शहीदों की वजह से जिस गांव की आन बान शान राष्ट्रीय स्तर पर बनी है वहां बजाय इस तरह के मसले को आपसी भाईचारे के निपटाने के इसे चौधर की लड़ाई बना लिया। शहीद संदीप के परिजनों का कहना है कि यह पुराना शैल्टर संदीप के शहीद होने से पहले बना हुआ था। जर्जर हो चुका है। गलत दिशा में बनने से वहां कोई ग्रामीण नहीं जाते थे बल्कि असामाजिक तत्वों का ठिकाना बन चुका था। शहीद परिवार से बलजीत ने शहीदों की प्रतिमा के आस पास बिखरी गंदगी और रात को होने वाली गलत गतिविधियों को रोकने के लिए उसे अपने अपने अधीन लेकर उसका सौंदर्यीकरण करना शुरू कर दिया। रात होते ही इस शहीद स्मारक के गेट पर ताला लगा दिया जाता है ताकि कोई गलत गतिविधियां नहीं हो। गांव के कुछ उपद्रवी तत्वों को यह रास नहीं आ रहा था। इसलिए उन्होंने गलत तरीके से ग्रामीणों को भड़काना शुरू कर दिया कि शहीद संदीप परिवार इस पर कब्जा कर रहा है जबकि पंचायती जमीन पर भला कौन कब्जा कर सकता है।
शहीद संदीप परिजनों की तरफ से मौजिज ग्रामीण के तौर पर शहीद संदीप की पत्नी मंजू देवी, दादा जयपाल, राजेश पंच, शारदा पंच, महिपाल पंच, पिंकी पंच, निर्मला, सरिता देवी, कंवर सिंह समेत सैकड़ों ग्रामीणों ने डीसी को सौंपे ज्ञापन में डहीना पुलिस चौकी इंचार्ज द्वारा शहीदों के परिजनों के साथ की गई मारपीट की निष्पक्ष जांच कर उन्हें तुरंत प्रभाव से सस्पेंड करने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि बस क्यू शैल्टर को दूसरी छोर में बनाने में क्या दिक्कत जबकि वहां भी पंचायत जमीन है। बस पकड़ने के लिए सड़क पार करते समय होने वाले हादसों का डर भी नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि वे हर स्तर पर इस पूरे मसले की जांच कराने के लिए तैयार है। वे गांव के कुछ ग्रामीणों के मंसूबों को पूरा नहीं होने देंगे। उधर शैल्टर को उसी स्थान पर बनाने की वकालत करने वाले ग्रामीणों का कहना है कि पहले गांव की आबादी वाले क्षोर पर ही इसे बनाया जाना था लेकिन वहां जैलदार एवं अन्यों की जमीन होने की वजह से संभव नहीं है। पंचायत ने रोडवेज विभाग पर यह छोड़ दिया था उसे जो भी उचित स्थान लगे वहां बना दे। रोडवेज ने पुराने वाले शैल्टर को ही सबसे बेहतर माना। उधर शैल्टर का विरोध करने वाले दादा जयपाल का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं है। गांव की आबादी वाली दिशा में पंचायत और पीडब्ल्यूडी विभाग की जमीन आती है। वहां से आसानी से शेल्टर बन सकता है।