डॉक्टर ने प्रॉविडेंट फंड से निकाले 19 लाख और खरीद ली गांव से कॉलेज पैदल जाने वाली लड़कियों के लिए बस।
“राजस्थान के कोटपुतली के 61 वर्षीय डॉक्टर आर.पी. यादव को जब पता चला कि गांव की लड़कियां घर से कॉलेज और कॉलेज से घर पैदल चलकर जाती हैं, तो उन्होंने लड़कियों के लिए अपने पीएफ के पैसों से बस खरीद ली। अब लड़कियां उसकी बस से कॉलेज जाती हैं। डॉक्टर के इस काम को IAS ऑफिसर अवनीष शरण ने ट्विटर पर ट्वीट किया, जिसके बाद उनके काम की भरपूर सराहना हुई।”
आपको पता होगा, कि भारत की आबादी 136.64 करोड़ है। वर्तमान समय में भारत में कुल 6,28,221 गाँव हैं और यदि हम सिर्फ राजस्थान की बात करें, तो यहां कुल गाँव 44981 हैं, जो कि भारत के कुल गांवों की संख्या का लगभग 7 प्रतिशत है। राजस्थान के 33 जिलों में सबसे ज्यादा गांव श्री गंगानगर जिले में है और सबसे कम गांव सिरोही जिले में है। देश के बाकी गांवों की तरह यहां भी ऐसे कई गांव और कस्बे हैं, जहां लोग डिजिटल इंडिया के समय में भी ट्रासपोर्टेशन की दिक्कतों से हर दिन रू-ब-रू हो रहे हैं। गांवों में अभी भी ट्रांस्पोर्ट की सुविधा नहीं है। आज भी लोग यहां मीलों पैदल चलकर जाते हैं। यही हाल राजस्थान के कोटपुतली गाँव का भी है। यहां गाँव में बच्चों के पास स्कूल-कॉलेज जाने के लिए बसें नहीं हैं और ना ही किसी भी तरह का पब्लिक ट्रांसपोर्ट है। डॉक्टर आर पी यादव को जब पता चला कि उनके गाँव की लड़कियां भी स्कूल-कॉलेज पैदल चलकर जाती हैं, तो उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने अपने पीएफ के पैसों से 19 लाख रुपए निकाल कर लड़कियों के लिए बस खरीद दी। 61 वर्षीय डॉ. आर पी यादव कोटपुतली राजस्थान से ही हैं और पेशे से डॉक्टर हैं। कोटपुतली की लड़कियां अब उसी बस से स्कूल-कॉलेज जाती हैं, जिसे डॉक्टर आरपी यादव ने अपने पीएफ के पैसों से खरीदा है। इस दिल छू लेने वाली कहानी को IAS ऑफिसर अवनीष शरण ने अपने ट्विटर पर शेयर किया है।
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “कोटपुतली राजस्थान के 61 वर्षीय डॉ. आर.पी. यादव ने महसूस किया कि उनके गांव और आसपास की लड़कियों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट के अभाव में कई कि.मी. पैदल चलकर स्कूल-कॉलेज जाना पड़ता था। यह देखकर उन्होंने अपने प्रॉविडेंट फंड से 19 लाख रुपए निकाले और लड़कियों को उनकी खुद की एक बस ख़रीद दी।”
आईएएस ऑफिसर अवनीष शरण ने जब इस कहानी को अपने ट्विटर पर साझा किया तो वहां कमेंट्स की भीड़ लग गई। लोगों ने अपने कमेंट में डॉक्टर आरपी यादव के प्रयासों को दिल खोलकर सराहा। आपको बता दें, कि यह कहानी 2017 में भी सामने आई थी, लेकिन अवनीष शरण के ट्वीट के बाद यह फिर वायरल हो गई है।उन्होंने इस ट्वीट को 11 मार्च की सुबह शेयर किया था।