गुरुओं के प्रति आस्था का केंद्र हैं जैन समाधि स्थल– आनंद मुनि

गुरू शिष्य का नाता पूर्णत समपर्ण की भावना पर टिका हुआ है। यह सभी ग्रंथों में बताया गया है कि एक शिष्य को अपने जीवन रूपी समर को पार करने के लिए हमेशा सदगुरू रूपी गुरू सारथी के मार्गदर्शन की महतीआवश्यकता होती है। शिष्य के लिए गुरू तो साक्षात भगवान है, क्योंकि उनका मार्गदर्शन ही उसे सही गलत के मार्ग को जानने, समझने तथा जीवन की विभिन्न परिस्थितियों का अनुभव प्रदान करने की समझ देता है। यह बात स्थानीय पुराना शहर गामडी क्षेत्र स्थित निर्माणाधीन जैन समाधि स्थल श्री गुरु मंदिर पर उपस्थित श्रद्धालुओं को इन दिनों नगर प्रवास पर पधारे उप प्रवर्तक महाश्रवण पंडित रत्न आनंद मुनि तथा प्रवचन दिवाकर दीपेश मुनि ने बताई। उन्होंने बताया कि  पुस्तके पढ कर कोई उपदेशक  तो बन सकता है लेकिन उनकी गहराई में जाकर ज्ञान रूपी जीवन संसार के सार तथा प्रभु को प्राप्त का मार्ग केवल गुरू के अनुभवों के आधार पर ही शिष्य को मिल सकता है। दोनों मुनियों ने बताया कि दादरी का यह जैन समाधी स्थल अदभुत है। इस स्थल पर आचार्य गुरुदेव रघुनाथ महाराजपंडित स्वामी ज्ञान चन्द्र महाराज, आचार्य गुरुदेव खुशहाल चन्द्र महाराज के अस्थि कलश विराजमान

है। कई भक्तों ने यह तक अनुभव किया है कि यह इस स्थल की महिमा ही है कि सच्चे मन से लगातार 41 दिन तक इस स्थान पर ज्योत प्रज्जवलित करने से समस्याएं के हल का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। अलौकिक शक्ति श्रद्धालुओंको समस्या मुक्ति की राह दिखाती है। उन्होंने बताया कि आगामी 10 जनवरी को गुरुओं की पुण्य स्मृति में इसी समाधी स्थल पर आचार्य रघुनाथ जी महाराज मैमोरियल धर्मार्थ ट्रस्ट के तत्वावधान में सत्संग, कीर्तन भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इसमें स्थानीय जैन समाज के प्रबुद्ध नागरिकों का सहयोग रहेगा।

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