चिन्मयानंद रेप मामला: तीन साल चले केस, पीड़ता-आरोपी बरी, सब कुछ हो गया साफ!

अटल सरकार में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रह चुके स्वामी चिन्मयानंद को एसआईटी ने 20 सितंबर 2019 को गिरफ्तार किया गया था। एसआईटी ने ये गिरफ्तारी शाहजहांपुर की एक लॉ की छात्रा द्वारा दुष्कर्म के आरोप के आधार पर की थी। इस केस पर शुक्रवार को विशेष अदालत ने सुनवाई कर चिन्मयानंद को बलात्कार के मामले में बरी कर दिया है। इतना ही नहीं अदालत ने आरोप लगाने वाली लॉ की छात्रा और अन्य सहयोगी पांच करोड़ की रुपये की रकम मांगने के मामले में भी सभी आरोपी दोष मुक्त हो गए हैं। इस मामले में दोषी और पीड़िता, दोनों को ही कोर्ट ने बरी कर दिया है।

पूरे मामले की शुरूआत 2019 की 22 अगस्त को हुई थी। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली एलएलएम की छात्रा ने एक वीडियो में स्वामी चिन्मयानंद पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए थे। इसके साथ ही उसने चिन्मयानंद से अपनी जान को खतरा भी बताया था। इसके बाद छात्रा लापता हो गई। 28 अगस्त 2019 को उसके पिता ने चिन्मयानंद के खिलाफ अपहरण और जान से मारने की धमकी का मुकदमा दर्ज करवाया था। इसी बीच छात्रा और उसके दोस्तों ने मैसेज कर चिन्मयानंद से 5 करोड़ की रंगदारी मांगी थी और न देने पर चिन्मयानंद का अश्लील वीडियो वायरल करने की बात कही थी। इस मामले में 29 अगस्त को लॉ कॉलेज की छात्रा और उसके तीन दोस्तों के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया था।

जांच के दौरान क्राइम ब्रांच की टीम ने राजस्थान के एक होटल से छात्रा और उसके एक दोस्त को बरामद किया था। जिसके बाद उसे सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एसआईटी का गठन किया गया। इस मामले में एसआईटी ने अपनी जांच शुरू की जिसमें उन्हें एक वीडियो मिला जिसमें वह छात्रा चिन्मयानंद की मालिश कर रही थी। यह वीडियो छात्रा द्वारा खुफिया कैमरे से बनाया गया था।

मामले में लिप्त सभी को हुई थी जेल

एसआईटी को जांच में इलेक्ट्रानिक सुबूत मिलने के बाद 20 सितंबर को कार्रवाई करते हुए चिन्मयानंद को जेल भेज दिया गया था। इसके साथ ही रंगदारी मांगने के आरोप में छात्रा समेत तीन दोस्तों को भी जेल भेज दिया गया। चिन्मयानंद को 3 फरवरी 2020 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जमानत मिली थी। कोर्ट ने शाहजहांपुर से लखनऊ की एमपी-एमएलए अदालत में मुकदमा भी स्थानांतरित कर दिया।

4 फरवरी 2020 को चिन्मयानंद मामले में हाईकोर्ट ने कहा था कि किसने किसका शोषण किया, ये बताना मुश्किल है। अदालत ने कहा, “यह दिख रहा है कि पीड़ित छात्रा के परिजन आरोपी व्यक्ति के उदार व्यवहार से लाभान्वित हुए हैं। वहीं, यहां कोई भी ऐसी चीज रिकॉर्ड में नहीं है, जिससे यह साबित हो कि छात्रा पर कथित उत्पीड़न के दौरान, उसने अपने परिजनों से इसका जिक्र भी किया हो। ये मामला पूरी तरह से ‘किसी लाभ के बदले कुछ काम करने’ का है।” दिलचस्प ये हुआ कि इस मामले के बाद पीड़िता अपने बयान से ही पलट गई।

अपने बयान से पलटी थी छात्रा

14 अक्टूबर 2020 को पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली कानून की छात्रा विशेष एमपी-एमएलए अदालत में अपने बयान से पलट गई थी। छात्रा ने बयान में कहा कि उसने पूर्व मंत्री पर ऐसा कोई इल्जाम नहीं लगाया जिसे अभियोजन पक्ष आरोप के तौर पर पेश कर रहा है। इससे नाराज अभियोजन पक्ष ने आरोपों से मुकरने पर छात्रा के खिलाफ कार्रवाई के लिए अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत तुरंत अर्जी दाखिल की थी।लेकिन, अब पीड़िता और आरोपी दोनों को बरी कर दिया गया है। क्या अब ये सवाल उठाए जाने चाहिए कि झूठे केस की वजह से कोर्ट का समय जाया हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *