धारूहेड़ा में एक हजार तो रेवाड़ी में डबल रेट में वोट खरीदने का पैकेज ऑफर
रणघोष अपडेट. वोटर की कलम से
चुनाव प्रचार में देशभक्ति के ओत प्रोत करने वाले गीत शुक्रवार को दोपहर होते ही अब अपने घरों में लौट गए हैं। ये गीत हमेशा नेताओं के कर्जदार रहेगे। कम से कम चुनाव के बहाने ही सही गली- मोहल्ले में खुब बजते हैं। अब चुनाव का पार्ट-2 शुरू हो गया है। वह है चुनाव में धन की माया। कोरोना काल में एक तबका ऐसा भी है जो काम धंधा नहीं मिलने की वजह से दो जून की रोटी को तरस रहा है। चुनाव में पैसो के बल पर राजनीति करने वाले प्रत्याशियों के लिए ये लोग इनकी जीत के लिए एटीएम का काम करते हैं। धारूहेड़ा में एक- एक वोट को हासिल करने की जंग छिड़ी हुई है तो रेवाड़ी में भी त्रिकोणीय मुकाबले ने प्रत्याशियों को अच्छी खासी परेशानियों में डाला हुआ है। जीत किसी एक की होनी है लेकिन हार भी सम्मानजनक हो इसलिए वोट के लिए पैसा पानी की तरह बहाया जाता है। कमाल देखिए चुनाव प्रचार बंद होने और मतदान के ठीक 48 घंटे में वोट के लिए जो रणनीति तैयार होती है उसमें विकास के किसी भी घोषणा पत्र पर चर्चा नहीं होती। ज्यादा से ज्यादा मतदान हो इसके लिए कोई चिंता नहीं करता। बस वोटर को किस तरह लुभाया जाए। लिहाजा अंत में पैसा और शराब निर्णायक भूमिका में नजर आते हें। कोई कुछ कितना ही दावा करे, बड़ी- बड़ी बातें करें। मीडिया को पैकेज ने चुप करा रखा है। इसलिए मतदान तक अब आप अधिकांश प्रत्याशियों को अलग अंदाज में देखेंगे। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। यह राजनीति का मान्यता प्राप्त कल्चर है।