रेवाड़ी में भाजपा प्रत्याशी पूनम यादव की हार-जीत मतदाता नहीं संगठन की कार्यप्रणाली तय करेगी
– जिस तरह भाजपा मीडिया फोटो कवरेज में एकजुट दिख रही है। जमीन पर ही भी वहीं नजारा नजर आया तो कमल कमाल कर सकता है
– अभी तक ऐसा नहीं लग रहा अंदरखाने पूरी टीम मतभेद- मनभेद भुलाकर जिम्मेदारी- जवाबदेही के साथ मतदाताओं से जुड़ाव बना पा रही है
रणघोष खास. वोटर की कलम से
नगर परिषद चुनाव रेवाड़ी में भाजपा प्रत्याशी पूनम यादव महज एक चेहरा है। असली चुनाव भाजपा का संगठन लड़ रहा है। अगर वह जीतती है तो इसका श्रेय भाजपा को जाएगा और हारती है तो इसकी जिम्मेदारी संगठन को ही लेनी होगी। अगर इसके लिए पूनम यादव को जिम्मेदार ठहराया गया तो समझ लिजिए ऐसा बोलने वाले ही इस प्रत्याशी को हराने वाले साबित होंगे। जिस तरह भाजपा ने पिछले एक सप्ताह से प्रचार प्रसार को तेज किया है उसमें पूनम की रफ्तार तेज हुई है। जब भाजपा का कोई बड़ा नेता चुनाव प्रचार में आता है तो संगठन की एकजुटता देखते ही बनती है। जाते ही पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता अपने हिसाब से चलना शुरू कर देते है। यह अभी तक की अपडेट रिपोर्ट है। इसका कितना असर पड़ेगा यह रजल्ट से साफ होगा। संगठन बड़ा है इसलिए सभी को साथ लेकर चलना आसान नहीं है। ऐसा पहली बार हो रहा है ऐसा भी नहीं है। यह चुनाव कई मायनों में भाजपा के लिए खास अहमियत रखता है। पहला सिंबल पर लड़कर पार्टी ने अपनी प्रतिष्ठा को ऐसी परीक्षा में उतार दिया है जिसके अच्छे – खराब परिणाम सीधे तौर पर सरकार की कार्यप्रणाली एवं संगठन नेतृत्व पर हमला करेंगे। भाजपा देश की ऐसी अकेली पार्टी है जहां चुनाव में उम्मीदवार नहीं संगठन हारता- जीतता है। इस पार्टी में प्रत्याशी का मतलब ही भाजपा है। इसलिए उम्मीदवार का चयन करते समय तमाम पहुलओं को ध्यान में रखा जाता है। चुनाव प्रचार में अगर कोई पार्टी का पदाधिकारी या नेता आवेश में आकर कुछ भी अनाप- शनाप बयानबाजी कर देता है तो इसकी कीमत चाहे अनचाहे पार्टी को चुकानी पड़ती है। यह हरगिज नहीं भूलना चाहिए कि हरियाणा में गांव स्तर पर भाजपा 2013 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर से मजबूत हुई थी। वह ऐसी सुनामी थी जिसमें तैरते हुए मनोहरलाल खट्टर हरियाणा के मुख्यमंत्री बने और सैकड़ों लोकसभा एवं विधानसभा प्रत्याशियों के राजनीति में अच्छे दिन आ गए थे। आज भी मोदी फैक्टर भाजपा के लिए संजीवनी बुट्टी बना हुआ है। इस दौरान अगर कोई पदाधिकारी या नेता यह भ्रम पाल ले कि उसकी वजह से संगठन खड़ा हुआ है या मजबूत हो रहा है समझ लिजिए उसकी किश्ती में छेद होना शुरू हो गया है। नगर निकाय जैसे छोटे एवं गहरा असर डालने वाले चुनाव में भी पीएम मोदी की संजीवनी बुट्टी काम करेगी। इस सोच से भाजपा की लोकल टीम को तुरंत प्रभाव से बाहर आना होगा। यह फेस टू फेस का चुनाव है। जहां पूनम यादव अपने संगठन के स्थानीय चेहरों की ताकत से मतदाता तक पहुंच रही है। ये चेहरे मानसिक और शारीरिक तौर पर कितने सक्रिय है। यह देखना इसलिए महत्वपूर्ण रहेगा क्योंकि इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। जहां कांग्रेस से विक्रम यादव के लिए संगठन के तौर पर वन मैन शो के रूप में पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह खड़े है और निर्दलीय उपमा यादव के साथ उनके पति पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव एवं पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास जमीनी नेता के तोर पर ही संगठन की भूमिका निभा रहे हैं। इसलिए भाजपा की बिना मिलावट की एकजुटता ही पूनम की जीत की वजह बनेगी ओर ब्यूटी पार्लर से होकर आने वाली एकजुटता ऐन वक्त पर अपनी असलियत में आकर हार का आधार बनेगी।