चुनाव शहर की सरकार का: धारूहेड़ा में जेजेपी का गणित बिगड़ा, वार्ड मेंबर बिना सिंबल के उतारे, भाजपा नहीं करेगी बागी उम्मीदवारों के खिलाफ कार्रवाई, किसान आंदोलन करेगा परेशान

Nagar Nikay Chunav

719230437_voterhelplinelogo-01.png.57b196191e8e2fc879c30ea60396c4b4रणघोष खास. धारूहेड़ा. वोटर की कलम


election_1964404_835x547-mराज्य में एक साल से अधिक समय से बिना किसी परेशानी के चल रही भाजपा- जेजेपी गठबंधन की सरकार नगर निकाय चुनाव में लोकल बॉडी की कार्यप्रणाली के चलते धारूहेड़ा आकर बिखरती जा रही है। चार रोज पहले आनन-फानन में  दावा किया गया सभी 17 वार्ड एवं चेयरमैन पर जेजेपी अपने सिंबल पर चुनाव लड़ाएगी। अब पता चला है कि केवल चेयरमैन ही पार्टी सिंबल पर लड़ रहे हैं। वार्ड मेंबर  के लिए  सिंबल नहीं दिया गया है। इसकी वजह भी साफ है चुनाव लड़ने वाले मजबूत प्रत्याशियों ने सिंबल लेने से ही मना कर दिया। उधर 20 दिसंबर को सीएम मनोहरलाल के धारूहेड़ा दौरे को लेकर ही स्थिति साफ नहीं हुई है।

अगर सीएम आते हैं तो जेजेपी प्रत्याशी को माहौल बनाने में मदद मिल सकती है।  दूसरा भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर चेयरमैन पद के लिए  निर्दलीय खड़े हुए तीन मजबूत प्रत्याशियों के खिलाफ कार्रवाई करने से पार्टी ने मना कर दिया है। तीनों ही भाजपा के मजबूत पदाधिकारी है। इसमें शिवदीप के पिता राव शिवरतन जिले में भाजपा के सबसे पुराने पदाधिकारी रहे हैं। यहां तक की भाजपा की टिकट पर रेवाड़ी विधानसभा चुनाव लड़कर सम्मानजनक वोट हासिल कर चुके हैं। खुद शिवदीप नगर पालिका से पहले धारूहेड़ा के सरपंच रहे हैं। उनकी अपनी जमीनी पकड़ है। इसी तरह दूसरे निर्दलीय प्रत्याशी संदीप बोहरा कुछ दिन पहले ही भाजपा युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष बने हैं। वे नपा के चेयरमैन भी रह चुके हैं और 14 सालों से लगातार सक्रिय है। तीसरे भाजपा के मनोनीत पार्षद रहे दिनेश राव के पिता ईश्वर सिंह मुकदम भी केंद्रीय राव इंद्रजीत सिंह खेमें से आते हेँ। उधर जेजेपी ने जेलदार परिवार से ही राव मंजीत जेलदार के बेटे मान सिंह को मैदान में उतारा है। मान सिंह की राजनीति सक्रियता ओर शुरूआत इसी चुनाव से हो रही है। मंजीत जेलदार ने विधिवत तौर पर तीन माह पहले ही जेजेपी ज्वाइन की है। उन्हें भी पहले से यह अहसास नहीं था कि नपा चुनाव में गठबंधन के तौर पर उन्हें अचानक अपने बेटे का चुनाव में उतारना पड़ेगा। यहां तक की चुनाव लड़ने का घटनाक्रम ही 10 दिन में फाइनल हुआ है। ऐसे में धारूहेड़ा नगर पालिका के 17 वार्डों में पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ाना इसलिए बड़ा जोखिम था क्योंकि 2019 के विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ी जेजेपी उम्मीदवार को ही 200 से ज्यादा वोट नहीं मिल पाए थे।

मौजूदा स्थिति इसलिए चुनौती पूर्ण हो रही है कि किसान आंदोलन के चलते दिल्ली- जयपुर नेशनल हाइवे बंद है। इसी मार्ग पर धारूहेड़ा बसा है। कुछ ही किमी दूरी पर राजस्थान सीमा पर किसान धरने पर बैठे हैं जिन्होंने चुनाव में भाजपा- जेजेपी प्रत्याशियों के खिलाफ वोट करने के जन जागरण अभियान की रणनीति बना ली है। इसलिए खास तौर से धारूहेड़ा में  यह चुनाव गठबंधन के तौर पर भाजपा- जेजेपी को अच्छा खासा महंगा भी पड़ सकता है। भाजपा ने गठबंधन धर्म के चलते धारूहेड़ा में अपना कोई उम्मीदवार चुनाव में नहीं उतारा जबकि रेवाड़ी में सभी 31 वाड एवं चेयरमैन पर वह सिंबल से लड़ रही है। इस चुनाव के एक माह बाद प्रदेश में पंचायती राज चुनाव आने वाले हैं। ऐसे में भाजपा कमेटी हरगिज नहीं चाहेगी कि वह टिकट नहीं मिलने पर बागी हुए जमीनी स्तर के उम्मीदवारों के खिलाफ जेजेपी को संतुष्ट करने के लिए कार्रवाई करेंगी।  उधर धारूहेड़ा में निर्दलीय लड़ रहे भाजपा के तीनों पदाधिकारियों का साफ कहना है कि  उन्हें चुनाव में पार्टी से 14 दिन का वनवास मिला है। उसके बाद वे भाजपा में ही रहेंगे। हम इसलिए चुनाव में उतरे क्योंकि गठबंधन के तहत जिस प्रत्याशी को मैदान में उतारा गया है उसका जमीनी आधार जीरो है। ऐसे में सालों से पार्टी को मजबूत करने में लगे कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जाता है। इसलिए जेलदार परिवार से भी पहली बार दो लोग एक दूसरे के खिलाफ खड़े हुए हैं। जेजेपी प्रत्याशी मान सिंह एवं आजाद उम्मीदवार शिवदीप एक ही परिवार से आते हैं। जेलदार परिवारों का कई सालों से धारूहेड़ा में हैसियत के हिसाब से अपना प्रभाव रहा है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *