नगर परिषद रेवाड़ी चेयरमैन चुनाव अब पूरी रंगत में आ रहा है। भाजपा- कांग्रेस की तरफ से कौन प्रत्याशी होंगे। इसकी तस्वीर दो- तीन दिन में साफ हो जाएगी। इधर रेवाड़ी विधानसभा सीट का गणित इधर उधर करने की हैसियत रखने वाले पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव को अगर पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास का खुला समर्थन मिल गया तो मुकाबला जबरदस्त हो जाएगा। उधर पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव ने भी इशारों ही इशारों में ही अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। उन पर उनके समर्थकों का दबाव है कि वे परिवार से किसी सदस्य को मैदान में उतारे।
रविवार को नजरें पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव के फैसले पर थी। सतीश यादव अपनी पत्नी को चेयरमैन के लिए मैदान में उतारने का गणित तैयार कर रहे हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास की मदद की थी। कापड़ीवास से उनकी मीटिंग हो चुकी है। राजनीति जानकारों का कहना है कि अगर सतीश यादव को कापड़ीवास का साथ मिल गया तो यह मुकाबला पूरी तरह से त्रिकोणीय हो जाएगा। अगर कप्तान अजय सिंह यादव अपने परिवार की बजाय अपने समर्थक को इस पद के लिए मैदान में उतारते हैं तो उनके लिए जीत का रास्ता लंबा हो जाएगा। इस सीट के मिजाज को विधानसभा चुनाव से समझा जा सकता है। यहां निर्दलीय उम्मीदवारों को जनता ने जीत के दहलीज पर पहुंचाने का काम किया है। वो चाहे राष्ट्रीय नवचेतना संगठन के अध्यक्ष विजय सोमाणी हो, निर्दलीय के तौर पर रणधीर सिंह कापड़ीवास या फिर सतीश यादव जनता ने खुलकर सम्मान जनक वोट दिए। हालांकि वे जीत नहीं पाए लेकिन राजनीति में अपनी निजी ताकत जरूर बना गए। इससे साफ जाहिर होता है कि यहां की जनता चुनाव में पार्टी की टिकट से ज्यादा उम्मीदवार की लीडरशिप क्षमता को ज्यादा महत्व देती है। इस स्थिति में भाजपा- कांग्रेस की तरफ से घोषित होने वाले प्रत्याशी की खुद की दमदारी पर भी हार-जीत का गणित तय होगा। सतीश यादव एवं कापड़ीवास की अपनी जमीनी ताकत है। ऐसे में दोनों का एक साथ सीधे तौर पर भाजपा- कांग्रेस के लिए सीधी चुनौती होगी। हालांकि अभी किसी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। एक दो दिन में स्थिति काफी हद तक साफ हो जाएगी।