एनआईए की गीदड़ भभकी या राष्ट्रद्रोह के मुकदमे भी नहीं रोक सकते राह
सरकार किसान आंदोलन को दबाने और कुचलने के साथ बदनाम करने से बाज आये। यह चेतावनी वक्ताओं ने कितलाना टोल पर किसान के अनिश्चित कालीन धरने को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने कहा कि सरकार राष्ट्रीय जांच एजेंसी से माध्यम से किसान आंदोलन में सहयोग करने वालों को नोटिस भिजवाकर उनको भयभीत करने का असफल प्रयास कर रही है। इसके साथ शांतिपूर्ण ढंग से अपनी आवाज उठाने वाले अनेक किसानों पर राष्ट्रद्रोह जैसे संगीन मुकदमे बना कर राज्य सरकार आंदोलन को दबाने का काम कर रही है जो बर्दाश्त से बाहर है। उन्होंने कहा कि सरकार अपने चहेते इलेक्ट्रिक, प्रिंट और सोशल मीडिया के माध्यम से बेहद अनुशासित किसान आंदोलन को बदनाम करने का काम कर आग में घी डालने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि 56 दिन से चल रहे आंदोलन में 121 किसान शहादत दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस सबके बावजूद सरकार होश में नहीं आई है। उन्होंने कहा कि सरकार बार बार बातचीत का जो दिखावा कर रही है उसको बंद करे और गंभीरता से किसानों की सभी मांगें पूरी करे। कितलाना टोल पर 26वें दिन किसानों के अनिश्चित कालीन धरने की नरसिंह डीपीई, बलवंत नम्बरदार, रणधीर कुंगड़, बिजेंद्र बेरला, अनिल शेषमा, बलबीर बजाड़, सुखदेव सिंह, मूर्ति देवी ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने 17 जनवरी को दादरी और 18 जनवरी को बाढड़ा में हुए अभूतपूर्व ट्रैक्टर मार्च के लिए जिला वासियों का आभार जताते हुए कहा कि ऐसा जोश आजादी की लड़ाई में देखने को मिला था। उन्होंने कहा कि ये अब 36 वर्ग का संघर्ष है और जब तक तीनों काले कानून रद्द नहीं होते हम पीछे हटने वाले नहीं है। आज भी टोल फ्री रहा। मंच संचालन कामरेड ओमप्रकाश ने किया। इस अवसर पर गंगाराम श्योराण, राजकुमार कादयान, राजू मान, कमल सिंह मांढी, राजकुमार हड़ौदी, मंगल सुई, धर्मेन्द्र छपार,सज्जन सिंगला, सुभाष यादव, सुरेश फौगाट, प्रेमा, संतरा, सावित्री, मूर्ति देवी, कृष्णा सांगवान, दिलबाग ग्रेवाल, राजबीर चंदेनी, भीम सिंह द्वारका, सत्यवान बलियाली, रत्तन बोहरा, महासिंह रंगा, नरदेव अटेला, हरदयाल, जयसिंह दहिया इत्यादि मौजूद थे।