जानें शरीर से कैसे ऑक्‍सीजन सोख ले रहा कोरोना, वायरस के इस रूप से डॉक्‍टर भी हुए हैरान

उत्‍तर प्रदेश के गोरखपुर के  पांडेय हाता निवासी 22 वर्षीय युवक को तीन दिन पहले बुखार हुआ। सोमवार की सुबह उसे सांस लेने में तकलीफ हुई। दोपहर तक उसकी हालत बिगड़ गई। ऑक्सीजन सेचुरेशन 65 से 70 के बीच आ गया। उसे निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है।

इसी तरह पुर्दिलपुर निवासी 33 वर्षीय युवक निजी बैंक में तैनात है। युवक को रविवार को सांस लेने में तकलीफ हुई। सोमवार को एंटीजन जांच में वह संक्रमित मिला। देर शाम तक उसकी हालत बिगड़ गई। ऑक्सीजन सेचुरेशन 75 पर आ गया। उसे बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया है। कोरोना का नया वायरस शरीर से ऑक्सीजन तेजी से कम कर रहा है। तीन से चार दिन के संक्रमण में ही शरीर में ऑक्सीजन का स्तर खतरनाक तरीके से नीचे गिर रहा है। कई बार तो यह चंद घंटों में ही हो जा रहा है। वायरस के इस रूप ने डॉक्टरों को हैरान कर दिया है।

नहीं हो पा रहा ऑक्सीडेशन

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के टीबी एंड चेस्ट के विभागाध्यक्ष डॉ. अश्वनी मिश्रा ने बताया कि संक्रमण के बाद वायरस फेफड़े के अंदर तेजी से परत बना रहा है। इससे खून को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। इसे ऑक्सीडेशन कहते हैं। मरीज के खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए उसे 60 लीटर प्रति मिनट की स्पीड से ऑक्सीजन देना पड़ रहा है। जबकि सामान्य तौर पर यह 8 से 10 लीटर प्रति मिनट की दर से दिया जाता है। इस वजह से संक्रमितों के इलाज में ऑक्सीजन की खपत 5 से 6 गुना बढ़ गई है। कोविड वार्ड में भर्ती करीब 40 फीसदी मरीज युवा है। युवाओं की हालत इसमें ज्यादा गंभीर हो रही है। उनकी सीटी स्कैन थोरेक्स की स्कोरिंग 15 से अधिक आ रही है। यह गंभीर संक्रमण की निशानी है। कुछ मरीज तो 20 से 22 स्कोरिंग तक के पहुंचे हुए हैं। उनका इलाज चल रहा है।

गले और सीने की तस्वीर बताता है सीटी थोरेक्स

डॉ. अश्वनी ने बताया कि कोरोना की पहचान व इलाज में सीटी स्कैन थोरेक्स का रोल अहम हो गया है। इसमें गले व सीने का स्कैन किया जाता है। यह उनके अंदर संक्रमण के कारण हुए असर की तस्वीर बताता है। इसे स्कोरिंग कहते हैं। अधिकतम स्कोरिंग 25 तक होती है। इसमें संक्रमण जितना अधिक होगा स्कोरिंग उतना ही ज्यादा होती है।

एल्बुलाई में दीवार बना रहा वायरस

चेस्ट फिजीशियन डॉ. ऋषभ गोयल ने बताया कि वायरस का नया स्ट्रेन यह चार दिन में ही फेफड़े तक पहुंच कर उसे पूरी तरह संक्रमित कर दे रहा है। फेफड़े के अंदर मौजूद एल्बुलाई और खून की धमनियों (ब्लड वेसल्स) के बीच में दीवार बना दे रहा है। जिससे खून में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जा रही है। यह प्रक्रिया बेहद तेजी से हो रही है। कई बार तो मरीज को समझने का मौका भी नहीं मिल रहा है।

सीटी स्कैन की स्कोरिंग

हल्का संक्रमण – 8 से कम

मध्यम संक्रमण – 8 से 15 तक

गंभीर संक्रमण- 15 से अधिक

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