कृषि कानूनों के विरोध में हरियाणा के जींद जिले के कंडेला गांव में चल रही किसानों की महापंचायत में हिस्सा लेने पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए लोगों से एकजुट होकर इनका विरोध करने की अपील की। महापंचायत में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने, एमएसपी पर कानून बनाने और किसानों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास कर दिया गया।
महापंचायत के मंच से राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को सीधी चुनौती देते हुए कहा कि सरकार इन कानूनों को वापस ले ले, वरना अभी तो हम सिर्फ कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं, अगर गद्दी वापस लेने की बात करेंगे तो सरकार क्या करेगी।
टिकैत ने कहा कि हम सभी गांव में जाएंगे और लोगों को एकजुट करेंगे। जब तक सरकार किसानों की मांग को पूरा नहीं करती तब तक पूरे देश में ऐसी ही महापंचायतें चलेंगी।
जानकारी के अनुसार, नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन को समर्थन देने के लिए हरियाणा के जींद जिले में बुधवार को महापंचायत में हो रही है। राकेश टिकैत भी इस महापंचायत में हिस्सा लेने के लिए जींद पहुंच गए हैं। यहां पहुंचने पर कंडेला खाप के सदस्यों ने हल देकर राकेश टिकैत का जोरदार स्वागत किया। इस महापंचायत में करीब 50 खापों के हजारों की तादाद में लोग भी भाग ले रहे हैं।
बता दें कि कंडेला गांव वर्ष 2002 में बिजली बिल माफी आंदोलन को लेकर सुर्खियों में रहा है। गत 26 जनवरी को दिल्ली के लाल किले पर किसान यूनियन और सिखों के प्रतीक का झंडा लगाने पर विफल होने लगे किसान आंदोलन को पुनर्जीवित करने में कंडेला गांव ने ही गत जनवरी रात जींद-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर आंदोलन दोबारा खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई थी। उसके बाद अगले दिन 27 जनवरी को प्रदेश के लगभग सभी जगहों पर खाप पंचायतों ने दिल्ली जाने का फैसला किया और हरियाणा से बहुत लोग दिल्ली भी पहुंचे।
उल्लेखनीय है कि कंडेला खाप प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की सबसे चर्चित खाप रही है। वर्ष 2002 में बिजली बिलों को लेकर आंदोलन चला था और उसका केंद्र बिंदु कंडेला ही रहा था। लंबे समय तक चला यह आंदोलन काफी चर्चित रहा था। इसमें किसानों ने कई अधिकारियों को बंधक भी बना लिया था और करीब दो माह तक जींद-चंडीगढ़ मार्ग जाम रखा था। किसानों की अनेक बार पुलिस से झड़प हुईं। बाद में इस आंदोलन में हुई गोलीबारी में नौ किसानों की मौत हो गई थी और काफी किसान घायल हो गए थे। उस समय प्रदेश में ओम प्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री थे। चौटाला 2005 तक मुख्यमंत्री रहे और वह उस समय तक कभी भी इस मार्ग से नहीं आए।
16 साल बाद कंडेला गांव में घुस पाए थे दुष्यंत चौटाला
करीब 16 साल बाद 2018 में कंडेला में ओम प्रकाश चौटाला के पोते दुष्यंत चौटाला को आने दिया था। कंडेला खाप अपने कड़े फैसलों के लिए जानी जाती रही है। प्रदेश में आज तक भी जितने आंदोलन हुए उन सभी मे कंडेला खाप की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अब एक बार फिर तीन कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली में चल रहे आंदोलन को ताकत देने के लिए कंडेला में महत्वपूर्ण पंचायत का आयोजन किया गया है।