उत्तराखंड में जोशीमठ और कर्णप्रयाग के बाद, जम्मू और कश्मीर के डोडा जिले में कई इमारतों में दरारें आ गई हैं, जिससे निवासियों में डर पैदा हो गया है. प्रशासन के अनुसार जिले में छह भवनों में दरारें आने की सूचना है और सरकार जल्द से जल्द जमीन धंसने की समस्या का समाधान निकालने का प्रयास कर रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार डोडा जिले में दिसंबर में एक घर में दरारें आने की सूचना मिली थी. फिलहाल छह इमारतों में दरारें थीं, लेकिन अब ये दरारें बढ़ने लगी हैं. यह क्षेत्र धीरे-धीरे धंस रहा है. वहीं डोडा के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अतहर अमीन जरगर ने बताया कि सरकार जल्द से जल्द इसका समाधान निकालने की कोशिश कर रही है.
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डोडा जिले की थाथरी नगरपालिका में नई बस्ती क्षेत्र के धंसने के बाद से कम से कम 20 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है. टाइम्स नाउ ने एक रिपोर्ट में कहा कि मकानों में दरारें आ गई थीं और जमीन धंसने के कारण वे असुरक्षित हो गए थे. रिपोर्ट के अनुसार, सड़कों के निर्माण में मशीनरी के उपयोग के साथ-साथ पानी के रिसाव सहित विभिन्न कारकों के कारण क्षेत्र में लगातार फिसलन हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप गांव धंस रहा है.
दरारों की सूचना के बाद स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने क्षेत्र का दौरा कर स्थानीय लोगों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है. टाइम्स नाउ ने एसडीएम के हवाले से कहा कि विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा क्षेत्र की जांच करने और इसे असुरक्षित घोषित करने के बाद प्रभावित क्षेत्र के लोगों को शिविरों और टेंटों में स्थानांतरित किया जा रहा है. वहीं 29 जनवरी को, जम्मू और कश्मीर में एक गैर-राजनीतिक नागरिक संस्था ने सरकार से ज्ञापन सौंप कर केंद्र शासित प्रदेश में भूमि के धंसने के खिलाफ निवारक रणनीतियों और योजनाओं को लागू करने के लिए कहा है. ज्ञापन में विभिन्न डोडा, किश्तवाड़, रामबन, राजौरी, पुंछ, गांदरबल, बांदीपुर, बारामूला, कुपवाड़ा और बडगाम जिलों से मिट्टी के कटाव, धंसने, अनाच्छादन, भूस्खलन और हिमस्खलन की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है.
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