रणघोष खास : भूपसिंह ‘भारती’ की कलम से
आजादी की ठाण कै, छोड़े सभ आराम।
सुभाष चंद्र बोस नै, करा निराला काम।
करा निराला काम, हिन्द की फ़ौज बणाई।
नारा ये जयहिन्द, देश म्ह गुंज्या भाई।
कहै ‘भारती’ फेर, जड़ अंग्रेजी हिलादी।
तुम मुझको दो खून, तुम्हें मैं दूँ आजादी।
आजादी की जंग म्ह, नारों का था जोश।
नारा ये दिल्ली चलो, हमें दिया था बोस।
हमें दिया था बोस, निराली फ़ौज बणाई।
नारा दे जयहिंद, लड़ी थी खूब लड़ाई।
फेर जगा कै जोश, बोस ने नींव हिलादी।
तुम मुझको दो खून, तुम्हें मैं दूँ आजादी।
अपने भारत देश में, नेता हुए अनेक।
नेताओं की भीड़ में, नेता केवल एक।
नेता केवल एक, देख वो जग म्ह छाया।
सुभाष चन्द्र बोस, नाम नेताजी पाया।
कहै ‘भारती’ फेर, सजे आजादी सपने।
लड़ी लड़ाई भोत, बोस थे नेता अपने।
– भूपसिंह ‘भारती’,
आदर्श नगर नारनौल, हरियाणा।