रणघोष खास. देशभर से
2019 में दोबारा मिले जनादेश के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कैबिनेट विस्तार और फेरबदल में पूरा जोर अगले साल होने वाले सात राज्यों के विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर जाति समीकरणों पर रहा है।मंत्रिपरिषद में 36 नए चेहरों को शामिल किए जाने के बाद इसमें अब 27 मंत्री ओबीसी, 12 अनुसूचित जाति के और आठ अनुसूचित जनजाति के हो गए हैं. बाकी 30 मंत्री तथाकथित सवर्ण जाति वर्ग के हैं।यह अभूतपूर्व है क्योंकि 2014 में पहली मोदी सरकार में 13 मंत्री ओबीसी, तीन दलित, छह आदिवासी और 20 सवर्ण थे. 2019 में बनी टीम मोदी में 13 ओबीसी, छह दलित, तीन आदिवासी और 32 सवर्ण थे। फेरबदल के बाद पांच ओबीसी मंत्रियों, दो दलितों और तीन आदिवासियों के पास कैबिनेट का दर्जा है। ओबीसी को भाजपा से जुड़ने के लिए ईनाम मिला है, लेकिन फेरबदल यह भी साबित करता है कि आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन के लिहाज से वे कितनी अहमियत रखते हैं