तालिबान का फ़रमान : पुरुष दाढ़ी रखें, महिलाएँ अकेले बाहर न जाएं

रणघोष अपडेट. विश्व भर से 

अफ़ग़ानिस्तान में अभी भी चुनी हुई सरकार ही है और सत्ता तालिबान के हाथों नहीं आई है, पर तालिबान ने यह साफ कर दिया है कि वह इस देश को एक बार फिर अतीत की ओर ले जाना चाहता है, जब उसका शासन हुआ करता था। एक नए और बेहद चिंताजनक घटनाक्रम में तालिबान ने कहा है कि पुरुष दाढ़ी  न कटाएं और औरतें किसी पुरुष के साथ न निकलें। इस कट्टरपंथी इसलामिक संगठन ने एक बयान जारी कर कहा है, ‘महिलाएँ किसी पुरुष के साथ बाज़ार नहीं जा सकतीं, पुरुष दाढ़ी नहीं काट सकते और न ही धूम्रपान कर सकते हैं।’

तालिबान का फ़रमान

अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेन्सी एएफ़पी ने कुछ स्थानीय लोगों के हवाले से यह ख़बर दी है।इन लोगों का कहना है कि तालिबान ने स्थानीय इमामों को ये सभी शर्तें एक चिट्ठी में लिखकर दी हैं। तालिबान ने इसके साथ ही यह भी कहा है कि इस आदेश को न मानने वालों से सख़्ती से निपटा जायेगा।इसके पहले पिछले महीने, अफ़ग़ानिस्तान के शेर ख़ाँ बांदेर क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के बाद तालिबान ने स्थानीय लोगों को आदेश दिया था कि ‘महिलाएँ घर से बाहर ना निकलें।’शेर ख़ाँ बांदेर क्षेत्र की बहुत सी महिलाएँ कशीदाकारी, सिलाई-बुनाई और जूते बनाने के काम में शामिल हैं, लेकिन सभी को तालिबान के डर से काम बंद करना पड़ा।

‘लड़कियों की शादी तालिबान लड़ाकों से करो’

एएफ़पी ने यह भी कहा है कि बीते हफ़्ते सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हुआ, जिसे कथित तौर पर तालिबान ने जारी किया है। इस मैसेज में गाँव वालों से कहा गया है कि वे अपनी बेटियों और घर की विधवाओं का विवाह तालिबान लड़ाकों से करें।  इसमें कहा गया है, क़ब्ज़ा किए गए इलाक़ों के सभी इमामों और मुल्लाओं से कहा जा रहा है कि वे 15 से ज़्यादा उम्र की लड़कियों और 45 साल से कम की विधवाओं की सूची बना कर तालिबान को सौंप दें ताकि उनकी शादी तालिबान लड़ाकों ले कराई जा सके।

तालिबान का इनकार

लेकिन तालिबान के एक प्रवक्ता ने इससे इनकार किया है और इसे अफ़वाह बताया है। ज़बीहुल्ला मुजाहिद ने एएफ़पी से कहा, ‘ये बेबुनियाददावे हैं। ये फ़र्जी काग़ज़ात के ज़रिए फैलाई जा रही अफ़वाहें हैं।’ दूसरी ओर ताज़िकिस्तान से सटे अफ़ग़ान ज़िले यवन में गाँव पर क़ब्ज़ा करने के बाद गाँव के लोगों को एक जगह एकत्रित किया गया और उन्हें हिदायत दी गई कि वे रात को घरों से बाहर न निकलें।  नाज़िर मुहम्मद ने एफ़पी से कहा, ‘हमसे कहा गया कि कोई भी व्यक्ति, ख़ास कर युवा लाल व हरे रंग के कपड़े न पहनें।’  अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रीय झंडे में ये दोनों रंग हैं। तालिबान ने कहा है कि वे मानवाधिकारों की रक्षा करेंगे, पर वे इसलामिक नियमों के अनुसार ही होंगे।  बता दें कि अफ़ग़ानिस्तान में 1996 से 2001 तक तालिबान का शासन था और उस दौरान ये बातें वास्तविक रूप से लागू की गई थीं। लड़कियों के स्कूल बंद कर दिए गए थे, उन्हें कामकाज छोड़ना पड़ा था, वे घर के किसी पुरुष सदस्य के बग़ैर बाहर नहीं निकल सकती थीं।

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