तीसरी लहर: डेल्टा प्लस की बन रही डरावनी दस्तक को अनदेखा ना करें

सवाल बहुत हैं लेकिन जवाब मुश्किल। क्या कोरोना की दूसरी लहर खत्म हो गई है? तीसरी लहर कब आएगी? क्या वह भी दूसरी लहर जितनी जानलेवा होगी? डेल्टा प्लस वेरिएंट कितना खतरनाक है? पहले सवाल का जवाब हां और ना दोनों में है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “देश के बड़े हिस्से में महामारी नियंत्रण में है, 535 जिलों में पॉजिटिविटी दर 5 फीसदी से कम है।” लेकिन कुछ इलाकों में ऐसा नहीं है। भार्गव ने बताया, “दूसरी लहर अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। अभी 75 जिलों में पॉजिटिविटी दर 10 फीसदी से अधिक है।” इसलिए तीसरी लहर से बचना कई बातों पर निर्भर करता है। जैसे, बचाव के लिए लोगों का उचित व्यवहार और एक जगह पर लोगों का इकट्ठा होने से बचना।

जिन इलाकों में दो महीने की सख्ती के बाद लॉकडाउन हटाया गया वहां भी खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। कोरोनावायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर अलर्ट जारी होने के बाद पुणे समेत महाराष्ट्र के कई शहरों में रात का कर्फ्यू और सप्ताहांत में गैर-जरूरी चीजों की दुकानें बंद करने का आदेश जारी करना पड़ा। यह वेरिएंट उसी डेल्टा परिवार का हिस्सा है जो सबसे पहले भारत में पाया गया था। भारत में दूसरी लहर ने जो तबाही मचाई, उसके पीछे यही डेल्टा वायरस था। वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील बताते हैं कि इस साल भारत में अल्फा और डेल्टा वायरस ने लोगों को ज्यादा संक्रमित किया। बीटा और गामा वेरिएंट की भारत में कोई खास मौजूदगी नहीं देखी गई। जमील कहते हैं, “जहां अल्फा और डेल्टा दोनों वेरिएंट मौजूद थे, वहां अल्फा की जगह डेल्टा ने ले ली। इसका मतलब है कि डेल्टा वेरिएंट अल्फा के तुलना में ज्यादा संक्रामक है।” नई रिपोर्ट के अनुसार डेल्टा वेरिएंट दूसरे देशों में भी अन्य वेरिएंट पर भारी पड़ रहा है। इंग्लैंड में अनेक लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के कई शहरों में डेल्टा का संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन लगाना पड़ा है।

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