दक्षिण हरियाणा की बदलती राजनीति को इस लेख से समझिए

राव इंद्रजीत जीते तो श्रेय खुद लेगे, हारे तो जवाबदेही भी खुद की होगी


रणघोष खास. प्रदीप हरीश नारायण


 2024 के लोकसभा चुनाव में  दक्षिण हरियाणा की राजनीति के एक सूत्रधार नेता का एलान करने वाले गुरुग्राम से भाजपा प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह के लिए आगे की राजनीति अब अलग ही तौर तरीकों में नजर आएगी। अगर राव इस सीट पर जीत दर्ज करते हैं तो वे इसका श्रेय नरेंद्र मोदी के बाद खुद को देंगे। अगर हार मिलती है तो इसके जिम्मेदार भी खुद होंगे। राव ने 13 मई को महेंद्रगढ़ में दिए गए अपने भाषण से पार्टी संगठन के नाम की बिचौलिया राजनीति को खत्म कर दिया था।

 जब से लोकसभा चुनाव की टिकट लेकर राव इंद्रजीत सिंह मैदान में उतरे हैं। उनके बदलते तेवरों ने साफ कर दिया है की वे इस चुनाव के बाद पूरी तरह से अपनी असली रंगत में आ जाएंगे जिसमें सुपर बॉस भी राव इंद्रजीत होंगे। दरअसल यही रामपुरा हाउस की असल राजनीति रही है जिसकी वजह से वह दक्षिण हरियाणा में अपनी अलग हैसियत रखती है। कहने को राव इंद्रजीत की राजनीति कांग्रेस में डुबकी लगाकर भाजपा के समुद्र में तैरती हुई 50 साल की होने जा रही है लेकिन नाव रामपुरा हाउस ने अपनी रखी है। इसलिए जब भी समुद्र में उथल पुथल होने लगती है यह नाव लहरों से खुद को बचाते हुए ऐन वक्त पर सुरक्षित किनारे पर पहुंच जाती है। राव इस राजनीति नाव के होशियार नाविक है। इसलिए वे भांप चुके हैं की चार महीने बाद होने जा रहे हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा किस पोजीशन में किस तौर तरीकों के साथ नजर आएगी। कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दल अपनी अपनी हैसियत से सत्ता में आने का रास्ता तलाशते नजर आएंगे। जाहिर है इन सभी को चंडीगढ़ पहुंचने के लिए दक्षिण हरियाणा से होकर गुजरना पड़ेगा जहां राव अपने समर्थकों के साथ उनका मुकाबला करते हुए नजर आएंगे। राव को हमेशा से ही कांग्रेस या भाजपा में रहकर अपने समर्थकों पर भरोसा रहा है। इसलिए वे मंच पर वे सबकुछ कह डालते हैं जिसे कहने की हिम्मत हर किसी में नही होती। महेंद्रगढ़ की चुनावी जनसभा से वे इसकी शुरूआत कर चुके हैं। उन्हें कब किस समय बोलना है यह वे घर से चलते समय तय करते हैं। इसलिए वे अपने साथ पर्चा भी लेकर आते हैं ताकि विरोधियों की यह गुंजाइश खत्म हो जाए की उन्होंने माहौल देखकर अपने शब्दों को खुली छूट दे दी थी।