राव की कोई नस दबी नहीं है तो भाजपा को उनके हिसाब से भी चलना पड़ेगा..
एक साथ तीन लोकसभा व 11 विधानसभा सीटों पर निशाना साधते रहे है राव इंद्रजीत सिंह
रणघोष खास. प्रदीप नारायण
दक्षिण हरियाणा में नूंह हिंसा के बाद राजनीति अपना व्यवहार तेजी से बदलती जा रही है। सभी की नजरें केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह एवं उनकी बेटी आरती राव पर टिकी हुई है। आरती कहां से चुनाव लड़ेगी, अटेली, नारनौल, कोसली या रेवाड़ी से। अटेली से सुगबुगाहट शुरू हुई तो तुरंत उनके चाचा राव अजीत सिंह ने बेटे अर्जुन राव के लिए हुंकार भर दी ताकि पारिवार में समय रहते राजनीति बंटवारे का विवाद खड़ा नहीं हो जाए। नारनौल में काफी गुंजाइश है । यहां से विधायक एवं राज्य मंत्री ओमप्रकाश यादव की उम्र व स्वास्थ्य दोनों उन्हें इस बार आराम करने की सलाह दे रहे हैं। आरती का बार बार आकर् नारनौल को अपना घर बताना यह इशारा करता है कि कुछ भी संभव है। कोसली उनकी पृतक राजनीति विरासत रही है। यहां भी सबसे छोटे चाचा राव यादुवेंद्र सिंह हुडडा कांग्रेस से अपनी मजबूत दावेदारी को लेकर चल रहे हैं। यहां भी पारिवारिक झगड़ा दिक्कत खड़ी कर सकता है। रही बात रेवाड़ी की। पिछले चुनाव में सुनील मुसेपुर का प्रयोग कर राव यह अच्छी तरह से जान चुके हैं कि उनकी असली लड़ाई कांग्रेस से नहीं अपनी पार्टी के अंदर बाहर उन नेताओं से है जो विरोध की अच्छी खासी विस्फोटक सामग्री लेकर बैठे हैं। राव अब उस स्थिति में नहीं है कि वे चारों तरफ राजनीति विरोध से लड़कर आगे बढ़े। हरियाणा-केंद्र की भाजपा हाईकमान से उनका मिजाज मौसम की तरह बदलता रहा है। कई बार अलग थलग नजर आए तो कुछ समय बाद संभलकर भी दिखे। देखा जाए तो राव राजनीति शतरंत के बेहतरीन खिलाड़ी है। इसलिए वे धोड़ा, ऊंट की चाल से विरोधियों को परेशान कर तुंरत हाथी की तरह आगे बढ़ जाते हैं। पटौदी की रैली हो या पंचकूला सम्मेलन में दिया भाषण या फिर नूंह हिंसा पर की गई टिप्पणी। विरोधी इसे राव की बौखलाहट समझ बैठते हैं जबकि रजल्ट राव के पक्ष में अपना फैसला सुना देता है। इसलिए किसान आंदोलन हो या नूंह की हिंसा। किसान और मुसलमान भाजपा से दूरियां बनाते जा रहे हैं राव से उनका रिश्ता हमेशा की तरह तरोताजा है। उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह अपने समय में देश की सबसे ताकतवर नेता इंदिरा गांधी को हवाई चप्पल में अपने घर बुलाकर अपनी ताकत दिखा चुके हैं। यही राजनीति गरमी राव में समय समय पर नजर आई है लेकिन यहां उनका सामना उस भाजपा से हो रहा है जिसने देश में चारों तरफ नेताओं का बीपी शुगर चैक कर उसका इलाज करने का ऑप्रेशन चलाया हुआ है। किसी भी नेता में हलकी सी बीमारी का पता चलते ही ईडी- सीबीआई- इंकम टैक्स की टीम डॉक्टर बनकर इलाज करने में जुट जाती है। तब तक उसका इलाज चलता है जब तक नेताजी चिल्लाकर ना बोल उठे ऑल इज वैल..। ऐसा कोई दिन नहीं जा रहा जब ऑप्रेशन थियेटर में कोई नेता भर्ती नहीं हो रहा हो। अगर राव की नस कहीं से दबी हो या पकड़ में आ रही हैं तो बात अलग है। नहीं तो राव दक्षिण हरियाणा की जमीन से सीधे रोहतक, भिवानी- महेंद्रगढ़ व गुरुग्राम लोकसभा व रेवाड़ी- गुरुग्राम एवं महेंद्रगढ़ की 11 विधानसभा सीटों पर सीधा दखल करते हुए नजर आएंगे। वे आज भी ऐसे अकेले नेता है जिनके पास कम ज्यादा ही सही इन सीटों पर अपने समर्थकों की अच्छी खासी फौज है। जो मैदान में खड़े होने की हैसियत भी रखती है ओर लड़कर किसी का भी हार जीत का गणित बिगाड़ सकती है। राव इसी फौज की बदौलत तमाम विरोध के बावजूद 48 साल की अपनी सफल राजनीति का लोहा मनवाते आ रहे हैं।