सावित्री बाई फुले सामाजिक सुधार आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाली पहली महिला: ओमप्रकाश यादव
प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की 190वीं जयंती पर धारूहेड़ा में आयोजित कार्यक्रम में सामाजिक न्याय अधिकारिता राज्य मंत्री ओमप्रकाश यादव ने कहा है कि महात्मा ज्योतिबा को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। ज्योतिराव, जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था। ओमप्रकाश यादव ने बताया कि सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। मंत्री ने बताया कि वे स्कूल जाती थीं, तो विरोधी लोग पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 171 साल पहले बालिकाओं के लिये स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था। उन्होंने बताया कि सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फैंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। धारूहेड़ा के नवनिर्वाचित नगरपालिका के चेयरमैन कंवर सिंह ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षिका सावित्री बाई फुले ने 19वीं सदी में स्त्रियों के अधिकारों, अशिक्षा, छुआछूत, सतीप्रथा, बाल या विधवा–विवाह जैसी कुरीतियों पर आवाज उठाने वाली देश की पहली महिला थी। उन्होंने शिक्षिका सावित्री बाई फुले की जयन्ती पर शत–शत नमन किया।इस अवसर पर सैनी समाज के प्रधान खेम चंद सैनी, मनोज सैनी, रामकुमार सैनी, चुनीलाल सैनी, राजिंदर सैनी सहित नवनिर्वाचित पार्षद अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।