देश के वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग का लेख

अब लाल क़िले से क्या बोलने वाले हैं पीएम ?


रणघोष खास. श्रवण गर्ग

विपक्षी इंडियागठबंधन  द्वारा पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के बाद हुए मतदान में सरकार चाहे ध्वनि मत के आधार पर विजयी घोषित कर दी गई हो, लेकिन  दो घंटे बारह मिनिट तक धुआंधार भाषण देते रहने के बाद नरेंद्र मोदी थके हुए दिखाई पड़ने लगे थे। वॉक आउट के बाद सदन में विपक्ष की अनुपस्थिति  का प्रभाव उनके चेहरे पर साफ दिखने लगा था। वे बार-बार विपक्ष की ख़ाली बेंचों की तरफ़ देख रहे थे।पांच बजकर आठ मिनिट पर जब पीएम ने माननीय अध्यक्षजीकहते हुए बोलने के शुरुआत की तब वाले नरेंद्र मोदी अलग थे। सात बजकर बीस मिनिट पर जब उन्होंने बोलना बंद किया तब तक वे अपना प्रारंभिक अवतार खो चुके थे। एनडीए के मंत्री और सांसद तब तक अपनी मेज़ें थपथपाने की आवाज़ काफ़ी धीमी कर चुके थे। उनके चेहरों के रंग उड़ने लगे थे। दूसरी ओर, जिस विपक्ष को पीएम सदन के भीतर मतदान के मार्फ़त पराजित होते देखने का सुख प्राप्त करना चाहते थे वह विजेता-भाव से संसद के बाहर से देश को जानकारी दे रहा था कि मोदी ने मणिपुर को किस तरह संसद में निराश किया। 

मणिपुर पर पीएम ने एक सवाल का भी जवाब नहीं दिया

मणिपुर की त्रासदी पर अविश्वास प्रस्ताव के ज़रिए पूछे गए ढेर सारे सवालों में पीएम ने एक का भी जवाब नहीं दिया। कोई डेढ़ घंटे तक स्वयं की उपलब्धियों का गुणगान करते रहे।  विपक्ष, गांधी परिवार और जवाहर लाल नेहरू से लगाकर मनमोहन सिंह के माथों पर सारी समस्याओं के ठीकरे फोड़ लेने के बाद जब पीएम ने देश के उत्तर-पूर्व में प्रवेश किया तब तक विपक्ष सदन ख़ाली कर चुका था। अपने द्वारा बोले जा रहे शब्दों की आवाज़ या तो सिर्फ़ प्रधानमंत्री स्वयं सुन रहे थे या फिर एनडीए के अनुशासनबद्ध सांसद।

अविश्वास प्रस्ताव को लेकर तीन दिनों तक देश की संसद ने जो दृश्य देखा वह अभूतपूर्व था। सब कुछ तब भी विपक्ष के बहिष्कार के बीच नई संसद में स्थापित किए गए सेंगोलया राजदंडकी परछाई से दूर पुरानी संसद में घटित हो रहा था। संसद के शीतकालीन सत्र की बैठकें ही संभवतः नए भवन में होंगी पर तब तक तो राजनीति की यमुना में काफ़ी पानी बह चुका होगा। 

वे जनता की ओर से आश्वस्त होना चाह रहे थे

अविश्वास प्रस्ताव पर हुई बहस के उत्तर में पीएम की विचलित दिखाई पड़ती मुद्रा और उनकी बिखरी-बिखरी शाब्दिक प्रस्तुति के ज़रिए जो प्रभाव उत्पन्न हुआ उसका सार यही बताया जा सकता है कि वे ‘तीसरी बार भी मोदी सरकार’ को लेकर जनता की ओर से आश्वस्त होना चाह रहे थे। वैसे गृह मंत्री अमित शाह यह काम एक दिन पहले ही अपनी पूरी क्षमता के साथ कर चुके थे। प्रधानमंत्री ने एक बार भी ऐसा नहीं महसूस होने दिया कि वे विपक्ष को जवाब दे रहे हैं। वे उस जनता को संबोधित कर रहे थे जो उनकी आंखों के सामने नहीं थी और जिस विपक्ष को जनता की नज़रों में गिराना चाहते थे वह सदन से वाक आउट कर चुका था।

यहां इस तथ्य का उल्लेख किया जाना ज़रूरी है कि सदन में उपस्थित सदस्यों में मणिपुर की जनता द्वारा चुनकर भेजे गए वे दो संसद भी थे जिन्हें उनके ही राज्य से संबंधित अविश्वास प्रस्ताव पर बोलने से वंचित रखा गया। इनमें एक सांसद भाजपा के और दूसरे एनडीए के सहयोगी दल नगा पीपुल्स फ्रंट के थे। भाजपा के सांसद (राजकुमार रंजन सिंह ) केंद्र में राज्यमंत्री भी हैं। पहले अमित शाह और बाद में नरेंद्र मोदी विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी को बार-बार शर्मसार करते हुए पूछते रहे कि उनका नाम बोलने वालों की सूची में क्यों नहीं शामिल किया गया ?

प्रधानमंत्री के उद्बोधन से जिस तरह की ध्वनियां देश भर में गूंज रहीं थीं उनसे यही आभास होता था कि पूरी एनडीए सरकार को विपक्ष के सिर्फ़ एक आदमी ने भयभीत कर रखा  है। प्रधानमंत्री ने अधीर रंजन का तो कई बार नाम लिया, राहुल गांधी का एक बार भी नहीं जबकि सबसे ज़्यादा प्रहार उन पर ही किए गए। प्रधानमंत्री जब ‘इंडिया’ को ‘घमंडिया’ निरूपित करते हुए उसमें निहित दो ‘I’ (आई) को विपक्षी गठबंधन के अहंकार का प्रतीक बता रहे थे, संसद के बाहर संदेश यही जा रहा था कि मोदी अपनी पिछली दो पारियों की तरह तीसरी को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। 

राहुल ने सरकार के तय एजेंडे को बदल दिया है 

लोकसभा में जो हुआ उससे स्पष्ट है कि राहुल गांधी ने 2024 को लेकर सरकार के तय एजेंडे को बदल दिया है और अपना एजेंडा उस पर थोप दिया है। वह एजेंडा अभी मणिपुर है जो चुनावों के आते-आते और कुछ भी बन सकता है। आश्चर्य व्यक्त किया जाना चाहिए कि गृह मंत्री ने अपने भाषण का दो-तिहाई से ज़्यादा समय प्रधानमंत्री की उपलब्धियों पर खर्च किया और प्रधानमंत्री ने उतना ही समय बजाय मणिपुर पर जवाब देने के राहुल ,गांधी परिवार, कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन पर हमले करने में झोंक दिया।

स्वतंत्र भारत के संसदीय इतिहास की कार्रवाई में शायद पहली बार दर्ज हुआ होगा कि किसी प्रधानमंत्री ने अपनी पार्टी और गठबंधन के सांसदों से सदन में नारेबाज़ी करवाई। सिर्फ़ एक बार नहीं बल्कि कई बार । पीएम ने एक से अधिक बार दावा किया कि एनडीए गठबंधन 2024  में अपने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़कर सत्ता में आएगा। संसद में उन्होंने कहा, मोदी गारंटी दे सकता है कि देश को टॉप थ्री की पोजीशन में लाकर रहेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d bloggers like this: