रणघोष अपडेट. नारनौल
देश को बाहर से अधिक खतरा देश के अंदर छुपे दुश्मनों से है। सीमा पर दुश्मनों से लड़ना आसान है, लेकिन देश को अंदर से तोड़ने के प्रयास में लगी देश विरोधी शक्तियों से निपटना कठिन है। यह कहना है वरिष्ठ साहित्यकार और राष्ट्रवादी चिंतक डॉ रामनिवास ‘मानव‘ का। राष्ट्रवादी लेखक–संघ, कानपुर (उत्तर प्रदेश) द्वारा ‘राष्ट्रीय एकता की आंतरिक चुनौतियां‘ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय विचार–गोष्ठी में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कहा कि आज नक्सलियों और माओवादियों के अतिरिक्त शहरी नक्सली, छद्म बुद्धिजीवी, फर्जी किसान तथा आतंकवादियों के हमदर्द राष्ट्रीय एकता तथा देश के विकास के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं। अतः उनसे कड़ाई से निपटने की आवश्यकता है। इससे पूर्व संघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ यशभानसिंह तोमर ने, विशिष्ट अतिथियों तथा संभागी कवियों का स्वागत करते हुए, विषय–प्रवर्तन किया। इस अवसर पर कवि–सम्मेलन का आयोजन भी किया गया, जिसमें देश के आधा दर्जन प्रमुख कवियों ने काव्य–पाठ कर कवि–सम्मेलन को गरिमापूर्ण ऊंचाई प्रदान की। सर्वप्रथम भिवानी (हरियाणा) के वरिष्ठ कवि डॉ रमाकांत शर्मा ने, देश का जयगान करते हुए, उसकी विजय की कामना की-‘जय हो देश हमारे, जय हो। कठिन परिस्थितियों में रहकर भी और विकट संकट सहकर भी कभी नहीं तुम हारे, जय हो।‘ अलवर (राजस्थान) के वीर रस के ओजस्वी कवि संजय पाठक ने, देश के सम्मुख उपस्थित चुनौतियों की चर्चा करते हुए, अपने आक्रोश को इस प्रकार वाणी दी-‘मेरी वाणी और लेखनी, मेरी कविता घायल है। इसीलिए अंगारे वाणी से बरसाता फिरता हूं‘, तो दादरी (हरियाणा) की चर्चित कवयित्री पुष्पलता आर्य ने भारत मां की पावन रज को अपना रंग–रूप, प्राण और आत्मा बताते हुए इसकी वंदना की-‘धूल को वंदन, वतन की धूल को वंदन। जो मिला इस धूल में, उस फूल को वंदन।‘
कानपुर (उत्तर प्रदेश) निवासी तथा राष्ट्रवाद की अलख जगाने वाले क्रांतदर्शी कवि डॉ यशवंत तोमर ने शांति की बात को मात्र भ्रांति बताया-‘बीत गई सदियां कहते शांति–शांति, किंतु यह शायद थी केवल भ्रांति‘ और कहा-‘शक्तिहीन शांति आमंत्रण विध्वंस का, निहत्थी अहिंसा विनाश खुद के वंश का।‘ अंत में विख्यात कवि डॉ रामनिवास ‘मानव‘ ने अपने धारदार दोहों के माध्यम से अवसरवादी राजनीति, छद्म धर्मनिरपेक्षता और तुष्टिकरण की प्रवृत्ति पर तीव्र प्रहार किया।उनका एक दोहा देखिए-‘वही पालकी देश की, जनता वही कहार। लोकतंत्र के नाम पर, बदले सिर्फ सवार। डॉ रमाकांत शर्मा के कुशल संचालन में लगभग दो घंटों तक चले इस विशिष्ट कार्यक्रम में मध्य प्रदेश से गुना की डॉ रमा सिंह और ग्वालियर के रामशरण रुचिर, नैनीताल (उत्तराखंड) से हेमा जोशी तथा नारनौल (हरियाणा) से डॉ कांता भारती और डॉ जितेंद्र भारद्वाज की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही।