8 वीं बोर्ड परीक्षा में फेल विद्यार्थी सीबीएसई स्कूलों में हो जाते थे पास, एक साल बचाने के नाम पर वसूली जाती थी मोटी फीस
– राइट टू एजुकेशन एक्ट में संशोधन करने के बाद इस खेल पर अकुंश लगा
– पहली बार बोर्ड परीक्षा में सीबीएसई समेत सभी स्कूल एक दायरे में आ जाएंगे
– कक्षा 9 से 12 वीं तक की कमान सीबीएसई के पास रहेगी
–2022 में हरियाणा में सीबीएसई के डेढ़ लाख विद्यार्थी भी देंगे 8 वीं की बोर्ड परीक्षा
– सीबीएसई स्कूल कर रहे हैं इसका विरोध
– सबकुछ एक्ट के तहत हो रहा है, विरोध एकदम तर्कहीन
– पंजाब में पांचवीं- आठवीं का बोर्ड लागू
रणघोष खास. हरियाणा से सुभाष चौधरी
हरियाणा में शिक्षा जगत का यह अभी तक का सबसे बड़ा खुलासा होने जा रहा है जिसे पढ़कर पैरो तले जमीन खिसक जाएगी। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी के बेहद जिम्मेदार अधिकारियों की माने तो 2022 से कक्षा आठवीं की दुबारा होने जा रही बोर्ड की परीक्षा को लेकर सीबीएसई से मान्यता प्राप्त उन स्कूलों की तकलीफें बढ़ने जा रही है जो इस फैसले का गलत ओर निजी हित के आधार पर विरोध कर रहे हैं। यहां बता दें कि 2009 में राइट टू एजुकेशन एक्ट लागू होने के बाद हरियाणा से कक्षा आठवीं का बोर्ड खत्म हो गया था। 10 जनवरी 2019 को इस एक्ट में संशोधन करने के बाद राज्यों के बोर्ड शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए पुन: बोर्ड संस्कृति को लागू करने जा रहे हैं। हरियाणा सरकार के मौलिक शिक्षा निदेशालय की अनुशंसा पर हरियाणा बोर्ड ने आठवीं को बोर्ड की परीक्षा में शामिल कर लिया है।
रणघोष को मिली पुख्ता जानकारी के मुताबिक हरियाणा में पिछले 15-20 सालों में बोर्ड की परीक्षा के नाम पर सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों में आधे से ज्यादा ने एक बड़ा खेल चलाया हुआ था। जिसकी पुख्ता जानकारी समय समय पर अधिकारियों के पास आती रही थी लेकिन उसे अलग अलग कारणों से दबा दिया गया। मौजूदा बोर्ड प्रबंधन जब इसकी गहराई में पहुंचा तो वे भी सकते में आ गए। अधिकारियों के मुताबिक जब 2009 में राइट टू एजुकेशन एक्ट आने से पहले 8 वीं में बोर्ड के तहत मान्यता प्राप्त स्कूलों में परीक्षाएं होती थी। इस परीक्षा में जो विद्यार्थी फेल हो जाता था। उसे सीबीएसई से मान्यता प्राप्त वाले कुछ स्कूल इन विद्यार्थियों के माता-पिता से संपर्क कर अपने स्कूल में चुपके से दाखिला करा लेते थे। वजह इन स्कूलों में 8 वीं का बोर्ड नहीं था। उस समय ऑन लाइन सिस्टम भी नहीं था। इसी का फायदा उठाकर सीबीएसई मान्यता प्राप्त वाले ये स्कूल संचालक फेल हुए बच्चे का एक साल का रिकार्ड अपने यहां दिखाकर माता-पिता से पास करने के नाम पर फीस के एवज में एकमुश्त मोटी राशि वसूलते थे। उस समय परीक्षा परिणाम भी सख्ती के चलते बहुत बेहतर नहीं आते थे। इतना ही नहीं सरकारी विभागों में चतुर्थ श्रेणी की निकलने वाली नौकरियों में 8 वीं की योग्यता मांगी जाती थी। ऐसे में इन स्कूलों ने ऐसे विद्यार्थियों को आठवीं पास का प्रमाण पत्र भी दिया जो कई साल पहले ही स्कूल छोड़ चुके थे। उनके प्रमाण पत्र के आधार पर वे नौकरी के लिए आवेदन कर देते थे। 2009 में आरटीई एक्ट लागू होने से पहले तक यह खेल पूरे जोरों पर चल रहा था।
राइट टू एजुकेशन एक्ट में संशोधन करने के बाद इस खेल पर अकुंश लगा
2009-10 में देश में राइट टू एजुकेशन एक्ट लागू होने के बाद हरियाणा से कक्षा आठवीं का बोर्ड खत्म करना पड़ा। इस एक्ट के लागू होते ही बच्चों को फेल करने का प्रावधान ही खत्म हो गया। लिहाजा बोर्ड एवं सीबीएसई स्कूलों की फेल- पास करने की स्थिति एक जैसी हो गईं। इससे धीरे धीरे बच्चों का बेस भी कमजोर होता चला गया। 10 जनवरी 2019 को राष्ट्रपति ने आरटीई के संशोधन को मंजूरी दे दी। जिसके तहत सेक्शन 16 में संशोधन किया गया। इस सेक्शन में क्लॉज (1 व 2) एक जोड़कर कहा गया है प्रत्येक एकेडमिक वर्ष में पांचवीं और आठवीं कक्षा में नियमित रूप से परीक्षा ली जाएगी।
25 जून 2020 को मौलिक शिक्षा निदेशालय ने 8 वीं बोर्ड लागू करने की सिफारिश की
इस एक्ट में संशोधन के बाद 25 जून 2020 को हरियाणा के मौलिक शिक्षा निदेशालय ने 25 जून 2020 को बोर्ड को पत्र लिखकर कक्षा आठवीं में बोर्ड लागू करने की सिफारिश की। चूंकि उस समय कोविड-19 का कहर चरम पर था। लिहाजा 2021 की 8 वीं की परीक्षा में बोर्ड लागू नहीं किया जा सका। अब हालात सामान्य होने पर 2022 से अब होने वाली 8 वीं की परीक्षा बोर्ड से होगी।
पहली बार बोर्ड परीक्षा में सीबीएसई समेत सभी स्कूल एक दायरे में आ जाएंगे
2009 से पहले जब आरटीई एक्ट नहीं बना था। सीबीएसई मान्यता प्राप्त स्कूल बिना बोर्ड के अपने स्तर पर 8 वीं की परीक्षा आयोजित करते थे। फेल- पास करना स्कूल प्रबंधन के हाथों में होता था। अमूमन उनका रजल्ट शत प्रतिशत ही रहता था। इस एक्ट के लागू होने के बाद किए गए संशोधन के तहत अब कक्षा 8 वीं तक की शिक्षा पर किसी भी राज्य या संघ के शिक्षा बोर्ड का अधिकार रहेगा। केवल केंद्रीय एवं नवोदय स्कूल बोर्ड के दायरे से बाहर रहेंगे इसके अलावा सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों को अब हरियाणा शिक्षा बोर्ड के नियमों के तहत कक्षा प्रथम से लेकर 8 वीं तक अन्य स्कूलों की तरह एक जैसा पाठयक्रम एवं नियम कायदे कानूनों को मानना पड़ेगा। अगर कोई स्कूल ऐसा करने से इंकार करता है उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है। यहां बता दें कि सीबीएसई से मान्यता लेने से पहले स्कूलों को अपने राज्य के शिक्षा विभाग एवं बोर्ड से एनओसी व मान्यता लेनी होती है। उसी आधार पर सीबीएसई उन्हें अपने अंतर्गत नियमों में लाती है।
कक्षा 9 से 12 वीं तक की कमान सीबीएसई के पास रहेगी
सीबीएसई मतलब सेंट्रल बोर्ड आफ सेकेंडरी एजुकेशन यानि कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक सीबीएसई अपने नियमों के तहत परीक्षाएं आयोजित कराने का अधिकार रखती है। सीबीएसई की एग्जाम की नियमावली के रूल नंबर 1 में साफ लिखा है कि कक्षा 8 अर्थात इसके नीचे तक की कक्षा में सभी नियम प्रदेश के बोर्ड द्वारा लागू किए जाएंगे। आरटीई एक्ट में संशोधन करने के बाद हरियाणा एजुकेशन रूल 2003 शिक्षा नियमावली के सब क्लॉज 1 व 9 को भी स्पष्ट कर दिया गया है कि प्राइमरी एवं मिडिल स्कूल है उसमें बोर्ड द्वारा सिलेबस ही पढ़ाया जाएगा चाहे वह स्कूल किसी भी अन्य बोर्ड से मान्य प्राप्त हो। रूल 9 का सब रूप 2 में भी इसका उल्लेख है।
2022 में हरियाणा में सीबीएसई के डेढ़ लाख विद्यार्थी भी देंगे 8 वीं की बोर्ड परीक्षा
आरटीई एक्ट में संशोधन के बाद पहली बार सीबीएसई के स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थी हरियाणा बोर्ड के तहत 2022 में होने जा रही 8 वीं की बोर्ड परीक्षा के तहत परीक्षा देंगे। यानि पूरे हरियाणा में कक्षा आठवीं तक सिलेबस से लेकर परीक्षा का स्वरूप एक जैसा हो जाएगा। वर्तमान में बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों में कक्षा 8 वीं के विद्यार्थियों की संख्या साढ़े चार लाख के करीब है। इसी तरह प्रदेश के 2100 के लगभग सीबीएसई मान्यता प्राप्त स्कूलों में 8वीं के विद्यार्थियों की संख्या करीब डेढ़ लाख है। यानि कुल 6 लाख के आस पास विद्यार्थी 10 साल बाद 2022 में बोर्ड की परीक्षा में बैठेंगे। यह आंकड़ा बोर्ड की पोर्टल पर दर्शाए आंकड़ों पर आधारित है।
सीबीएसई स्कूल कर रहे हैं इसका विरोध
दो दिन पहले 19 अक्टूबर को हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने बोर्ड पर जबरदस्ती 8 वीं की बोर्ड परीक्षा थोपने का आरोप लगाया था। एसोसिएशन के प्रांतीय प्रधान जवाहर दुहन एवं जिला अध्यक्ष रामपाल यादव ने कहा कि यह मनमानी सहन नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जो स्कूल 2007 से पहले मान्यता प्राप्त है उन्होंने एनओसी ली हुई है कि उन्हें इस तरह की बोर्ड परीक्षा के दायरे से बाहर रखा जाए। सीबीएसई स्कूल हरियाणा बोर्ड द्वारा डिमांड की हुई एफीलेशन फीस भी जमा नहीं कराएगा।
सबकुछ एक्ट के तहत हो रहा है, विरोध एकदम तर्कहीन
इस बारे में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी के उपाध्यक्ष वीपी यादव ने स्पष्ट किया कि हरियाणा के मौलिक शिक्षा निदेशालय की तरफ से 25 जून 2020 को भेजे पत्र पर बोर्ड के चेयरमैन जगबीर सिंह ने एक्ट के सभी पहुलओं पर गौर करने के बाद यह निर्णय लिया है। पूरी तरह शिक्षा नियमावली 7.1 की पूरी तरह से अनुपालना की गई है। सीबीएसई की नियमावली एवं एक्ट में स्पष्ट तौर से उल्लेख है कि कक्षा पहली से आठवीं तक पाठयक्रम से लेकर बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने का अधिकार संबंधित राज्यों के बोर्ड के पास रहेगा। 8 अक्टूबर 2021 को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की शिक्षा सचिव अनीता करवल ने राज्यों के सभी बोर्ड अधिकारियों से मीटिंग में एक सवाल के जवाब में स्पष्ट किया था कि कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक केवल नवोदय एवं केंद्रीय स्कूलों को छोड़कर सीबीएसई से मान्यता प्राप्त सभी स्कूल संबंधित राज्यों के बोर्ड के अंतर्गत एक जैसी शिक्षा के स्वरूप के लिए जारी दिशा निर्देश की अनुपालना करेंगे। इतना ही नहीं 2020 में भी आठवीं बोर्ड लागू करने के खिलाफ पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट में निशा एजुकेशन बनाम हरियाणा केस में कोर्ट ने ना तो बोर्ड की परीक्षा को लेकर कोई रोक लगाई और ना हीं किसी तरह का कोई दिशा निर्देश दिया। यानि बोर्ड परीक्षा का रास्ता साफ है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का यह कहना कि 10 वीं का बोर्ड भी खत्म किया जा रहा है। सरासर झूठ एवं तर्कहीन है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी कैपिटल 4 के बिंदु नंबर 4.37 में स्पष्ट तैार पर लिखा है कि मौजूदा व्यवस्था के तहत कक्षा 10 वीं व 12 वीं के लिए बोर्ड प्रणाली यथावत रहेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बोर्ड की तरफ से किसी भी सीबीएसई स्कूल को एफीलेशन फीस जमा करने के लिए नहीं कहा गया है। हमने शिक्षा अधिकारियों से हर जिले में सीबीएसई स्कूलों की सूची जरूर मांगी है।
पंजाब में पांचवीं- आठवीं का बोर्ड लागू
बोर्ड उपाध्यक्ष वीपी यादव ने कहा कि पंजाब राज्य में तो कक्षा पांचवी से बोर्ड को लागू कर दिया है। हमारा बोर्ड भी इस पर विचार कर रहा है। फिलहाल अभी 8 वीं पर फोकस है। पांचवीं से बोर्ड लागू होने से गली मोहल्लों में दुकानों तरह खुले छोटे स्कूलों पर लगाम कस जाएगी। शिक्षा का स्तर बेहद मजबूत होगा। सबसे बड़ी बात मान्यता के नाम पर दूसरे स्कूलों में दिखाई जा रही संख्या भी पकड़ी जाएगी। बोर्ड के पोर्टल में ऐसा सिस्टम आ गया है कि अचानक किसी स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ने से हमें तुरंत इंडीकेशन मिल जाएगा। ऐसा करने वाले स्कूलों की सीधे मान्यता रद्द हो जाएगी। पांचवीं बोर्ड से कक्षा 4 वीं में ही बच्चों का रजिस्ट्रेशन हो जाएगा और फर्जीवाड़ा स्वत: ही खत्म हो जाएगा।